क्या है अघोरी बाबाओ का सच
क्या है अघोरी बाबाओ का सच
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पुराणों के अनुसार शिव के पांच चेहरे बताए गए है जिनमे उनका एक चेहरा अघोर भी है. अघोर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ”अ” तथा ”घोर”, घोर शब्द का अर्थ होता है घना यानि जहा हर तरफ अंधकार व्याप्त हो व अ शब्द का अर्थ है नहीं इस प्रकार अघोर का अर्थ हुआ जहा अँधेरे का नमो निशान तक न हो तथा हर ओर सिर्फ प्रकाश ही प्रकाश हो. इस रूप में शिव अघोड भी कहलाते है जो दुनिया से विरक्त होकर अपनी आत्मा में घोर तपश्या में लीन रहते है . अघोरी साधु भी समस्त दुनिया से अलग होकर केवल शिव साधना में ही लीन रहते है. अघोरी श्मशान में इसलिए रहता है क्योकि श्मशान में भगवान शिव का वास माना जाता है.

आइये जानते है कैसे करते है ये अपनी साधना को सिद्ध और इनसे जुडी बेहद रोमांचकारी और रहस्मयी रोचक बाते. 

1-अघोरी मूलतः तीन प्रकार की साधना करते है, शिव साधना, शव साधना तथा श्मशान साधना. शिव साधना की प्रक्रिया करते समय अघोरी किसी मुर्दे के लाश के ऊपर पैर रखकर खड़े हो जाते है शव साधना में मुर्दे के ऊपर खड़े होना छोड़कर बाकि एक जैसी ही प्रक्रिया दोहराई जाती है. अपनी साधना के दौरान अघोरी मुर्दे को प्रसाद के रूप में मदिरा और मांस चढ़ाते है.

2 . ऐसा माना जाता है की अघोरियों की साधना में इतनी शक्ति होती है की वे मुर्दो से बात कर सकते है. भले ही पढ़ने या सुनने में यह बात अजीब सी लगे परन्तु इस बात को नकारा भी नहीं जा सकता. क्योकि इनकी साधना इतनी कठोर होती है की जिसकी ताकत को चुनौती नहीं दी जा सकती.

3 . अघोरी का निवास स्थान श्मशान घाट में ही होता है, श्मशान में ही वे अपनी एक छोटी सी कुटिया बनाकर रहते है. उनके साथ उनके शिष्य भी होते है जो उनकी सेवा करते है. अघोरियों के कुटिया के सामने ही एक धुनि जलती रहती है. जानवरों में इन्हे कुत्ता पलना पसंद होता है.

घडी पर ना जमा होने दे धूल

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