जानिये क्या होती है गुप्त नवरात्र
जानिये क्या होती है गुप्त नवरात्र
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हिन्दू धर्म में नवरात्र में मां दुर्गा की साधना व सारे नियम संयम के साथ पूजा पाठ करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण मना जाता हैं। नवरात्र के दौरान बहुत से साधक विभिन्न प्रकार की तंत्र -मंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष रूप से पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष मानी जाती हैं।

आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।

गुप्त नवरात्र में पूजा की विधि - 

मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि का महत्त्व जानिये –

देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं के लिये भी साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां इस प्रकार है – 

गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

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