अगर दुश्मन करें परेशान तो अपना लें आचार्य चाणक्य के यह दो उपाय
अगर दुश्मन करें परेशान तो अपना लें आचार्य चाणक्य के यह दो उपाय
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चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बहुत से ऐसे कामों को बातों को बताया है जिन्हे करने से आपको लाभ मिल सकता है। ऐसे में आचार्य चाणक्य ने शत्रुओं से और दुष्टों से छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में बताया है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जी दरअसल उनके इन तरीकों को अपना लिया जाए तो आसानी से शत्रुओं से मुक्ति पा सकते हैं। जी हाँ, चाणक्य की नीति आज के समय में भी उतनी ही कारगर है जितनी वह पहले हुआ करती थी। जी दरअसल चाणक्य नीति में हर इंसान को ध्यान में रख कर विशेष बातों को बताया गया हैं और अगर उन्हें अपने जीवन में अपना लिया जाए तो धन्य हो सकते हैं। कहा जाता है जो लोग नौकरी, बिजनेस या अन्य कामों में बार-बार रुकावटें पैदा करते हैं या परेशान करते हैं उनसे छुटकारा पाने के उपाय चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ के 15 वें अध्याय के तीसरे श्लोक में बताए हैं। आइए जानते हैं।

चाणक्य नीति का श्लोक 

खलानां कण्टकानां च द्विविधैव प्रतिक्रिया ।

उपानन्मुखभङ्गो वा दूरतो वा विसर्जनम् ॥

चाणक्य ने इस श्लोक में दुष्ट लोगों को यानी शत्रुओं और कांटे को एक जैसा माना है। उनके अनुसार दुष्ट लोगों और कांटे से 2 ही तरह से बचा जा सकता है। जी हाँ, चाणक्य कहते हैं कि इन्हें जूतों से किसी अन्य साधन से पूरी तरह कुचल देना चाहिए, या फिर दूर से ही इन्हें देखकर अपना रास्ता बदल लेना चाहिए यानी इनसे पूरी तरह बचकर रहना चाहिए, इनसे कोई मतलब नहीं रखना चाहिए। जी हाँ, यह दो तरीके को अपनाने के बाद कोई भी इंसान दुष्ट लोगों से बच सकता है।  

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