कजाखस्तान : कजाखस्तान और उत्तरी उज्बेकिस्तान के बीच मौजूद अरल सागर पूरी तरह से सुख चूका है, यह नजारा यूरोपियन स्पेस एजेंसी की राडार सैटेलाइट द्वारा ली गई तस्वीरों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. अरल सागर विश्व का चौथा सबसे बड़ा सागर जिसका 90 प्रतिशत भाग गत 50 वर्षो में सुख चुका है. एक ऐसा समय भी था जब 1,534 आइलैंड वाले इस सागर को आइलैंड्स का सागर के रूप में पहचाना जाता था.
अरल सागर में सुखा आने की स्थिति विश्व की सबसे बड़ी पर्यावरण आपदाओं में से एक है. 1997 में सूखने के चलते अरल सागर चार लेक में विभाजित हो गया था, जिसे उत्तरी अरल सागर, पूर्व बेसिन, पश्चिम बेसिन और सबसे बड़े हिस्से दक्षिणी अरल सागर के नाम प्रदान किया गया था. 2009 तक सागर का दक्षिण-पूर्वी भाग पूर्ण रूप से सुख गया था और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा पतली पट्टी परिवर्तित कर दिया गया है.
अरल सागर के सूखने का प्रभाव
अरल सागर के सूखने से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र समृद्ध मछली उद्योग होगा. मछली उद्योग का सफाया होने की सम्भावना है, जिसके चलते बेरोजगारी और आर्थिक समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है. पानी सूखने के कारण प्रदूषण बढ़ा है और अरल सागर के क्षेत्र के निवासियों की सेहत पर विपरीत प्रभाव दिखाई दिया. मौसम पर भी इसका प्रभाव देखा गया है. गर्मी हो या सर्दी, दोनों ही असहनीय है.
क्या वजह है सूखे की
इस सागर के सूखने की शुरुआत सोवियत संघ की एक योजना से प्रारम्भ हुई. 1960 में सोवियत संघ के सिंचाई प्रोजेक्ट के लिए नदियों का बहाव परिवर्तित कर दिया गया है, जिसके बाद से ही इस सागर के सूखने का क्रम नहीं थमा है. सागर को सूखने से बचाने और उसके हिस्से उत्तरी अरल सागर को भरने के लिए कजाखस्तान का डैम प्रोजेक्ट 2005 में पूर्ण हो गया था, जिसके बाद 2008 में सागर में पानी का स्तर 2003 की तुलना में 12 मीटर तक वृद्धि देखि गयी थी. हालांकि, इन सबके बावजूद सागर की स्थिति में कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखाई दिया.