वायरस संक्रमण है वायरल फीवर
वायरस संक्रमण है वायरल फीवर
Share:

आज कल के दौर में वायरस के संक्रमण से हर कोई प्रभावित हो जाता है और इस तरह आने वाले बुखार को वायरल फीवर (Viral Fever) कहते हैं. वायरल बुखार के वायरस गले में सुप्तावस्था में निष्क्रिय रहते हैं. ठंडे वातावरण के संपर्क में आने, फ्रिज का ठंडा पानी, शीतल पेय पीने आदि से ये वायरस सक्रिय होकर हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को प्रभावित कर देते हैं.
 
यह एक संक्रमण है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से फैलता है. इसके विषाणु साँस द्वारा एक से दूसरे में पहुँचते हैं. फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है.
 
इसका असर नवजात शिशुओं के लिए अधिक पीड़ादायक होता है. इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं. उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं. इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं. 

किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है. उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है. इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए.

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -