वेट के कर उल्लंघन को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखें
वेट के कर उल्लंघन को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखें
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नई दिल्ली : कालेधन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति अजित पसायत है का कहना है कि राज्य के वेट जैसे कर कानूनों के उल्लंघन को भी गंभीर अपराध की श्रेणी में रख कर ऐसे मामलों को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग निवारक कानून के तहत कार्रवाई की व्यवस्था करनी चाहिए. इससे आर्थिक अपराधों को लेकर लोगों में डर बैठेगा.

प्रवर्तन दिवस पर निदेशालय में आयोजित समारोह में उपाध्यक्ष ने एजेंसियों का बचाव करते हुए कहा कि एजेंसी का काम ढीला नहीं है. उन्हें फूंक फूंक कर कदम रखना पड़ता है ताकि उनके द्वारा पेश मामला कानून की कसौटी पर टिक सके. ज्ञातव्य है कि गत वर्ष ही केंद्र सरकार ने काला धन और संपत्ति जमा करने के मामले को गंभीर अपराध की श्रेणी में डाला है.

न्यायमूर्ति पसायत ने कहा कि एसआईटी के अधीन काम कर रही एजेंसियों ने कानून उल्लंघन के जो भयावह आंकड़े पेश किये हैं उनके अनुसार 97 हजार ऐसे लोग हैं जो 20-20 से अधिक कम्पनियों के निदेशक हैं. वहीँ 2 हजार अन्य लोग 100-100 से अधिक कम्पनियों में ऐसे पद संभाले हुए है, जो नियमों का सरासर उल्लंघन है. कम्पनी अधिनियम के तहत कोई व्यक्ति एक समय में 20 से अधिक कम्पनियों में निदेशक नहीं रह सकता.

उपाध्यक्ष ने कहा यदि कोई व्यक्ति कर विवरणी में 10 हजार करोड़ की अपनी आय को कम दिखाता है तो यह देश की वित्तीय स्थिरता की हत्या करना है. राज्यों के अधिकार क्षेत्र वाले वेट जैसे कानून को गंभीर अपराध की श्रेणी में रख दिया जाएगा तो इससे आर्थिक अपराध करने वालों में डर पैदा होगा.

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