उतराखंड सरकार चाहती है संजीवनी बूटी को तलाशना, केंद्र से की मदद की अपील
उतराखंड सरकार चाहती है संजीवनी बूटी को तलाशना, केंद्र से की मदद की अपील
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देहरादून : जिस संजीवनी बूटी से रामायण काल में राम भक्त हनुमान ने राम के छोटे भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, अब उसी प्राण रक्षक बूटी की तलाश उतराखंड सरकार को है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से संजीवनी बूटी के लिए शोध करवाने का अनुरोध किया है। नई दिल्ली में शुक्रवार को केंद्र ने राज्यों के आयुष मंत्रियों के साथ बैठक की। बैठक में कई जड़ी-बूटियों पर चर्चा हुई।

प्रदेश सरकारों ने केंद्र से कई जड़़ी-बूटियों को संरक्षित करने और उनके औषधीय महत्व पर शोध का अनुरोध किया। उतराखंड के स्वास्थय मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि संरक्षण के अभाव में कई औषधीय गुणों वाले पौधे विलुप्त हो रहे है। वर्तमान में स्थिति यह है कि कई आयुर्वेदिक दवाइयां भी विदेशो से आयात करनी पड़ रही है।

नेगी ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक से अनुरोध किया कि वे हिमालय में संजीवनी बूटी की खोज के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू करें। उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण मूर्छित हुए थे, तब हिमालय से संजीवनी बूटी लाकर उनकी जान बचाई गई थी। ऐसी औषधियां हिमालय क्षेत्र में हैं, जिन्हें तलाशने की जरूरत है। नेगी ने कहा कि जहां से हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए थे, वो स्थान जोशी मठ के आस-पास है।

राज्य सरकार के पास संसाधनों की कमी है, इसलिए वो शोध नही कर पा रही है, केंद्र इसमें मदद करे। संजीवनी बूटी का वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेलो ब्रयोप्टेरिस है। वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे है, लेकिन अब तक इसकी पुष्टि नही हो पाई है।

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