जब तक हम अपने मन को नहीं सुधारते तब तक पूजा पाठ का कोई मतलब नहीं
जब तक हम अपने मन को नहीं सुधारते तब तक पूजा पाठ का कोई मतलब नहीं
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उज्जैन। जयसिंहपुरा हरिफाटक ओवरब्रिज के नीचे श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से चारधाम मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंदजी ने कथा के दूसरे दिन कहा कि जब तक हम अपने मन को नहीं सुधारते तब तक पूजा पाठ का कोई मतलब नहीं होगा।

भगवान से प्रार्थना करें हमारा मन सुधरें, क्योंकि सब कुछ घर में है। पर सुमति न हो तो कलह में सुख की प्राप्ति नहीं होती। अगर हम सत्संग और श्रीमद् भागवत कथा में आते हैं तो हमारे निजी जीवन में भी बदलाव आना नितांत आवश्यक है।

जब तक हमारे जीवन में बदलाव नहीं आएगा, जब तक सत्संग का कोई अर्थ नहीं निकलता। सत्संग सृष्टि नहीं दृष्टि बदलता है। अपना स्वभाव ठीक करो और यह स्वभाव सत्संग से ही ठीक होगा। चारधाम मंदिर के नजदीक जयसिंहपुरा निवासी पिछले कई दिनों से स्वामीजी से मांग कर रहे थे कि आपके मुखारबिंद से हमारी बस्ती में भी श्रीमद् भागवत कथा गुंजायमान हो जाएं। आपका आशीर्वाद मिल जाएं तो हम पर ईश्वर की और संतों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। भक्तों की मंशा को देखते हुए स्वामीजी ने भी इस भीषण गर्मी में जयसिंहपुरा क्षेत्र में श्रीमद् भागवत कथा करने का निर्णय लिया।

निष्काम भजन से ही भगवान की प्राप्ति

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