शक्ति का अनुपम पीठ पावागढ़...
शक्ति का अनुपम पीठ पावागढ़...
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पावागढ़: शक्ति आदि समय से ही भगवान शिव के साथ है। शिव और शक्ति को जीवन का आधार माना जाता है। वास्तव में शिव अपनी शक्ति के साथ ही पूर्ण होते हैं। गुजरात के वड़ोदरा में भी शक्ति का ऐसा ही अनुपम दर्शन देखने को मिलता है। मां कालिका का यही शक्तिपीठ कालिका माता शक्तिपीठ मे विराजित है। यह शक्तिपीठ अति पावन माना गया है। इस पीठ में वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। माता काली का यह मंदिर अत्यंत जागृत है। श्रद्धालुओं की इस मंदिर में अगाध आस्था रहती है। यह स्थल 51 शक्तिपीठों में से एक है। 

अतिप्राचीन काल में माता सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंचती हैं मगर वहां भगवान शिव का निरादर होने के कारण वे यज्ञ में स्वयं को समर्पित कर देती हैं और यज्ञ भंग हो जाता है। मगर भगवान शिव शोक में माता की देह को अपने साथ लेकर चलते हैं। ऐसे में भगवान शिव उनके शोक को सुदर्शन चक्र द्वारा माता की पार्थिव देह को विच्छिन्न कर दूर करते हैं। जहां भी माता के ये अंग गिरे थे वहां शक्तिपीठ जागृत हो गए हैं। ऐसे ही शक्तिपीठों में से एक है पावागढ़ का मंदिर।

माता यहां भव्य स्वरूप में विराजमान हैं। माता के समीप भगवान की मूर्तियां भी हैं। काली शिलाओं की ये प्रतिमाऐं जागृत हैं। यहां श्रद्धालु बड़ी आस लेकर आते हैं और उनकी मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं। यह एक प्रमुख तांत्रिक स्थल है। यह महर्षि विश्वामित्र की तपस्थली है। मां काली ने महर्षि को प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया था। यहां बहने वाली नदी को विश्वामित्री कहा जाता है जो कि उन्हीं के नाम पर लोकप्रिय हुई। नवरात्रि में यहां बड़े पैमाने पर श्रद्धालु आते हैं। यह पर्वतीय क्षेत्र में प्रतिष्ठापित है। 

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