आज कल युवा बेरोजगारी को लेकर सबसे अधिक परेशान हैं नौकरियों के मामलों में लोगों को लगातार निराशा हाथ लग रही है. वहीं, फरवरी में एक बार फिर बेरोजगारी दर में बढ़ोत्तरी हुई है और ये 4 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. यदि बात करे तो CMIE की रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक सुस्ती के साथ ही अब कोरोना वायरस के चलते नौकरियों के मोर्चे पर हालात और बिगड़ने की सम्भावना नजर आ रही है.
बेरोजगारी मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन चुका है. रोजगार के मोर्चे हर बार सरकार को मायूसी ही हाथ लगी है. यदि दिसंबर में EPFO के आंकड़े हों या फरवरी में आई बेरोजगारी दर के आंकड़े. हर बार इनमें गिरावट का असर ही देखने को मिलता है. CMIE के आंकड़ों के अनुसार फरवरी में बेरोजगारी दर पिछले 4 महीनों में सबसे अधिक रही है. फरवरी में बेरोजगारी की दर जनवरी के मुकाबले 0.62 प्रतिशत बढ़कर 7.78 फीसदी पर पहुंच चुकी है. कामकाजी लोगों में से कितने लोग एक तय समय में रोजगार की तलाश कर रहे थे, परन्तु उन्हें काम नहीं मिल पा रहा हैं. हालांकि भारत में बेरोजगारी दर को लेकर इन आंकड़ों को 100 प्रतिशत सही मान लेना भी ठीक नहीं है.
भारत में ना तो कड़ाई से न्यूनतम मजदूरी दर लागू होती है और ना ही काम करने के घंटों पर कोई पाबंदी निर्धारित की गई है. एकदम बेरोजगार लोगों के अतिरिक्त भारत का एक और बड़ा हिस्सा वो भी है जो काफी कम मजदूरी या फिर अनुबंध पर काम करता है. इसके अतिरिक्त वो तबका भी है जो सही रोजगार की कमी में कम वक्त के लिए किसी न किसी कारोबारी यूनिट से जुड़ जाता है. ये भी एक तरह से आंशिक बेरोजगारी है जो औपचारिक आंकड़ों में नहीं दिखती हैं. बेरोजगारी दर पर ये रिपोर्ट दिखाती है कि आर्थिक सुस्ती का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. चीन में फैले कोरोना वायरस से आने वाले समय में भी आर्थिक मंदी और बढ़ने की आशंका जताई गई है, यानी बेरोजगारी की दर और भी बढ़ सकती है.
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