भगवान शिव का त्रिशूल है पवित्रता का प्रतीक
भगवान शिव का त्रिशूल है पवित्रता का प्रतीक
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हमारे हिन्दू धार्मिक पुराणों एवं ग्रंथो में अनेक रहस्य छिपे हुए है जिनमे से एक है भगवान शिव के हाथ में उपस्थित त्रिशूल. 

आइये जानते है भगवान शिव के त्रिशूल से जुड़े अनोखे एवं रहस्मयी बाते.

भगवान शिव के त्रिशूल के संबंध में कहा जाता है की यह त्रिदेवो का प्रतीक ब्र्ह्मा, विष्णु, महेश है यानि इसे रचना, पालन एवं विनाश के रूप में देखा जाता है. इसे भुत, भविष्य तथा वर्तमान के साथ स्वर्ग, धरती तथा पाताल एवं इच्छा क्रिया एवं बुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. त्रिशूल, तीनों गुण सत, रज, तम का भी परिचायक है और त्रिशूल का शिव के हाथ में होने का अर्थ है कि भगवान तीनों गुणों से ऊपर है, वह निर्गुण है.

शिव का त्रिशूल पवित्रता एवं शुभकर्म का प्रतीक है तथा इसमें मनुष्य के अतीत, भविष्य तथा वर्तमान के कष्टों को दूर करने की ताकत होती है. इतना ही नहीं इसी के साथ हमारी आत्मा जन्म एवं मृत्यु के चक्र को छोड़ मोक्ष की प्राप्ति द्वारा ईश्वर का सानिध्य पा सकती है.

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