नई दिल्ली : मोबाइल फोन पर कॉल ड्रॉप की बढ़ती समस्या से सभी परेशान हैं. अब लोगों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. ट्राई ने कॉल ड्रॉप की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए नए सेवा गुणवत्ता मानक तय किए हैं.
इन मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले दूरसंचार ऑपरेटरों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने 29 अप्रैलको बताया कि नए मानदंडों की घोषणा एक माह के भीतर की जाएगी. हालांकि खुल्लर ने नए मानकों के बारे में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं बताया.
उनसे पूछा गया था कि क्या नियामक सेवाओं की गुणवत्ता के नियमों में बदलाव की तैयारी हो रही है. कॉल ड्रॉप या कॉल बीच में कटने की समस्या हाल ही के समय में तेजी से बढ़ी है. कई सांसदों ने यह मुद्दा दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ भी उठाया है. दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने सोमवार को इस मुद्दे पर ऑपरेटरों को आड़े हाथ लेते हुए उपभोक्ताओं की शिकायतों को जल्द दूर करने व नेटवर्क में सुधार को कहा.
ट्राई पहले ही सेवाओं की गुणवत्ता के कई मानकों को पारिभाषित कर चुका है. इनमें कॉल ड्रॉ, बिलिंग, शिकायत निपटान आदि से संबंधित मानक हैं. नियामक किसी ऑपरेटर के प्रदर्शन का आकलन 10 मानदंडों पर करता है.
इनमें से किसी भी एक मानक के बारे में नियामक को गलत रिपोर्ट देने पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाता है. पहली बार अनुपालन न किए जाने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगता है और उसके बाद प्रत्येक गैर अनुपालन पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया जाता है.
इस बीच, ट्राई के चेयरमैन ने नेट निरपेक्षता और लोगों के निजी ईमेल आईडी को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार किया. उन्होंने कहा, "इस पर विचार विमर्श जारी है और उस समय तक मैं इस पर कुछ कह नहीं सकता".
NTIPL reserves the right to delete, edit, or alter in any manner it sees fit comments that it, in its sole discretion, deems to be obscene, offensive, defamatory, threatening, in violation of trademark, copyright or other laws, or is otherwise unacceptable.