नई दिल्ली : भारत का सीमा क्षेत्र जितना विशाल है उतना ही विविधताओं से भरा हुआ है। भारत की सीमा पाकिस्तान, चीन और नेपाल जैसे देशों से सटी हुई है। हालांकि इस सीमा पर नेपाल की ओर से अधिक खतरा नहीं है लेकिन चीन और पाकिस्तान की ओर से सीमाओं का अतिक्रमण होता रहा है। पाकिस्तान से भारत की धरती पर आतंक को भी प्रेरित किया जाता है। तो दूसरी ओर म्यांमार की ओर से भारत में माओवादी खतरा बढ़ता रहा है।
भारत के असम, अरूणाचल प्रदेश में उग्रवादियों का खतरा भी रहा। यही नहीं झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का खतरा बना रहा है। मगर भारत की सेना हर पार सफलता के साथ हर आक्रमण का नाकाम करती रही है। भारतीय सेना की जांबाजी का परचम ऐसा है कि भारतीय सेना वीरता, विजय, शौर्य, साहस, अत्याधुनिकीकरण में विश्व की उत्कृष्ट सेना है। सेना दिवस पर भारतीय सेना के ऐसे ही रणबांकुरों को शत - शत नमन् किया जाता है।
भारतीय सेना के जवान जहां राजस्थान में भीषण गर्मी, और लू का सामना करते हुए सीमाओं की रक्षा करते हैं वहीं बर्फ जमी और हाड़ कंपकंपा देने वाली सर्दी में आॅक्सीजन की कमी के बीच रहकर सीमा की ओर आने वाले खतरे को समाप्त करते हैं। राजस्थान सीमा 1037 किलोमीटर की है। यहां पर पारा गर्मियों में करीब 50 डिग्री तक पहुंच जाती है।
इस तरह के मौसम में बाद भी सीमा सुरक्षा बल के वीर जवान पैट्रोलिंग करते हैं। हालांकि यहां पर यह थोड़ी राहत होती है कि एक समूह की शिफ्ट 6 घंटे की होती है। सीमा पर दो आॅब्जर्वेशन टाॅवर होते हैं। इन टाॅवरों के बीच भी जवान पैट्रोलिंग करते हैं जिसकी दूरी 1200 मीटर होती है। दोपहर के समय रेत इस तरह से गर्म होती है कि जवानों का शरीर झुलसने लगता है। जूते के तलवे अलग हो जाते हैं। पैट्रोलिंग पर जवान केवल नींबू, प्याज दो बोतल पानी और इंसास राइफल ही साथ ले जा सकते हैं। प्याज लू का असर भी इस क्षेत्र में बहुत असर करता है। नींबू और पानी जवानों को डिहाइड्रेशन से बचाते हैं।
सियाचीन ग्लेशियर में इसके उलट माहौल होता है। यह विश्व का सबसे दुर्गम रणक्षेत्र माना जाता है। इसकी ऊंचाई 2200 फीट है। यहां पर तापमान माईनस 30 तक पहुंच जाता है। 1984 से अब तक यहां पर भारत अपने 2000 से भी अधिक सैनिक खो चुका है। अधिकांश जवान मौसम के कारण अपना जीवन खो देते हैं। भारतीय सेना के 3000 जवानों की तैनाती यहां की गई है। इस तरह के मौसम के बाद भी सीमा सुरक्षा बल के वीर जवान पैट्रोलिंग करते हैं।
यहां माहौल काफी अलग होता है। पहाड़ों पर बर्फ जमी होती है। बर्फीली चोटियों पर चढ़ना और उतरना तो अलग बात है यहां पर तापमान के शून्य से भी नीचे अर्थात् माइनस में चले जाने पर सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सैनिकों को पानी भी मुश्किल से मिलता है। इन जवानों को बर्फ के बीच रहने के लिए विशेष प्रकार के सूट, जूते और चश्मे लगाने पड़ते हैं।
ये सभी इनकी त्वचा और जीवन को बचाए रखते हैं। कई बार तो जवानों को दाढ़ी तक बढ़ाना पड़ती है। दाढ़ी उनकी त्वचा का रक्षण करती है। सेना को अरूणाचल प्रदेश पर काफी ध्यान रखना पड़ता है। चीन यहां पर अपना दावा करता है। इस प्रदेश में तवांग क्षेत्र पर इंडियन आर्मी को सदैव अपनी मजबूत पकड़ बनाकर रखना पड़ती है। तवांग क्षेत्र से सटी सीमा सेहत को बीमार करने वाली भी हो सकती है मगर प्रतिकूल मौसम में भी जवान रहकर सीमाओं की रक्षा करते हैं।
पंजाब के क्षेत्र में लगी सीमा पर सुरक्षा बलों को सावधान रहना होता है। शेरपुर में नदी क्षेत्रों में लहरों पर नज़र रखी जाती है। रात के अंधेरे को भेदने वाले इक्विपमेंट का उपयोग भी इस सीमा क्षेत्र में किया जाता है। सतलुज नदी - पंजाब में आतंकी नदियों और नालों के रास्ते से न आ जाऐं इस पर भी ध्यान रखा जाता है।
पंजाब में कई स्थानों पर सुरंगें खोदी गईं थीं। इन सुरंगों को बंद कर दिया गया है लेकिन घुसपैठ की आशंका को लेकर इन सुरंगों पर भी ध्यान रखा जाता है। रावी नदी आतंकियों की घुसपैठ का खतरा भी यहां बना रहता है। जवान यहां ड्युटीरत होते हैं। मगर यहां ड्युटी करना बेहद खतरनाक होता है। रावी दरिया का रूख बदल जाता है। डेरा बाबा नानक सेक्टर में पाकिस्तान ने कई झाडि़यां लगाई हैं।