धन को एकत्र करकर रखना भी एक कला है
धन को एकत्र करकर रखना भी एक कला है
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दरिद्रता को वैदिक नीतिकारों ने मृत्यु माना है। इसका कारण है कि बिना धन के जीवन नहीं चलाया जा सकता है। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए धन की आवश्यकता जरूर पड़ेगी।

यदि इंसान के पास धन न हो तो वहा शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में टूट कर बिखर सकता है। ऐसे में वो धन कमाता है। लेकिन धन को एकत्र करकर रखना भी एक कला है।

धन की देवी लक्ष्मी है जो बहुत ही चंचल प्रवृत्ति की मानी जाती है। यहां हम कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बता रहे हैं। जिन्हें आप यदि दिवाली के दिन आजमाते हैं तो धन की देवी लक्ष्मी का निवास हमेशा आपके घर में रहेगा।

दीपावली के दिन पूजन के समय यदि चांदी की डिब्बी के साथ थोड़ी सी नागकेशर व शहद का पूजन करें। ऐसा करने से वर्ष भर आपके घर में आर्थिक सम्पन्नता बनी रहेगी।

धन रखने के स्थान पर पान के पत्ते में शमी की लकड़ी को लपेटकर रखने से धन का । अभाव नहीं रहता है।
दीपावली की रात्रि में एक लाल वस्त्र पर चावलों से षट्कोण बनाएं। उसके मध्य में 21 गोमती चक्र स्थापित कर दें। एक और शुद्ध घी का तथा दूसरी ओर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कमलगट्टे की माला से 21 माला 'श्रीं' मंत्र का जप करें। ठीक अगले दिन लाल वस्त्र की सारी साम्रगी को एक पोटली के रूप में बांधकर किसी पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दें। दबाने के लिए गड्डा इतना गहरा होना चाहिए कि कोई पशु उसे निकाल न पाए। फिर हाथ जोड़कर वापिस आ जाएं। रास्ते में किसी ने न बोलें और न ही पीछे मुढ़कर देखें। घर में प्रवेश से पहले कहीं मुंह-हाथ धो लें। यदि इसे इसी पूर्ण नियमानुसार किया जाए तो आर्थिक सम्पन्नता के लिए यह एक अचूक उपाय है।

दीपावली जिस सप्ताह में हो, उस सप्ताह के शुक्रवार के दिन शाम को स्नान कर श्वेत कपड़े पहनकर। घर के पूजा स्थल पर बजोट रखें। उस पर पहले गेहूं फैलाएं। उन पर लाल वस्त्र बिछाएं। वस्त्र पर चांदी की डिब्बी में सिंदूर के साथ सिंगड़ी, थोड़ा सा कपूर और 11 लौंग रखें। इसके बाद स्फटिक की माला से 'ऊं श्रीं महालक्ष्मै श्रीं ऊं' मंत्र का 7 माला जब करें। और जप के बाद प्रणाम उठ जाएं। इसके बादे लाल वस्त्र में चांदी की डिब्बी को बांधकर धन रखने के स्थान पर रख दें। और गेंहूं को गाय को खिला दें। ऐसा करने पर घर में लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहेगी।

सभी प्रकार की आर्थिक हानि और आर्थिक समस्याओं के नाश के लिए दीपावली की रात्रि को निम्मलिखित मंत्र का 21 माला जप करें।
ऊं नमो पद्मावती पद्मालये लक्ष्मीदायिनी

वांछाभूतप्रेत विंध्यवासिनी सर्व शत्रु संहारिणी

दुर्जन मोहिनी ऋद्धिसिद्धि वृद्धि कुरु कुरु स्वाहा।

ऊं क्लीं श्रीं पद्मावतयै नम: ।।

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