Sep 01 2016 07:11 AM
एक बार की बात है एक संत के पास उनका शिष्य पहुंचा और उनसे विनम्रता से कहा, मुझे मुक्ति का मार्ग बताएं। संत बोले, कब्रिस्तान जाओ और सारी कब्रों को गालियां देकर आओ। शिष्य ने संत के अनुसार ऐसा ही किया।
अगले दिन वह शिष्य फिर संत के पास गया तब संत ने कहा, इस बार तुम फिर कब्रिस्तान जाओ और वहां मौजूद सारी कब्रों के सामने स्तुति करो। यह सब करने के बाद जब शिष्य पुनः संत के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा, क्या तुम्हारे गाली देने या स्तुति करने पर कब्रिस्तान में कोई प्रतिक्रिया हुई।
शिष्य ने कहा, बिल्कुल नहीं। संत बोले यह दुनिया ऐसी है मरणशील है। यहां मान-अपमान के बारे में मत सोच। इसी में मुक्ति है।
यदि हम मान-अपमान में उलझे रहेंगे तो हमारी मुक्ति संभव नहीं। इसलिए इन बातों को नदारद करते रहिये।
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