यह योग व्यक्ति को स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है
यह योग व्यक्ति को स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है
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"गजकेसरी" योगके विषय में यह मान्यता है कि यह योग व्यक्ति को "गज के समान" स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है. राजयोगों व धनयोगों के बाद इस योग के फलों का विचार किया जाता है. गजकेसरी योग जब पूर्ण रुप से किसि व्यक्ति कि कुण्डली में बन रहा हो तो व्यक्ति को गुरु व चन्द्र की दशा - अन्तर्दशा में इसके शुभ फल प्राप्त होते है. 

जिस प्रकार अन्य प्रसिद्ध योग सभी के लिये एक समान फल नहीं देते है. उसी प्रकार एक व्यक्ति को गजकेसरी योग धनवान व प्रसिद्धि देता है तो दूसरे को इसके फल सामान्य से भी कम प्राप्त होते है. योग के फल, भाव, ग्रहों, राशियों व इस योग में युक्त गुरु व चन्द्र कि स्थिति से प्रभावित होते है. 

गजकेसरी योग के फल
गजकेसरी योग में गज (हाथी) व केसरी (सिंह) दोनों ही जानवर प्रकृ्ति से सबसे प्रभावशाली व शक्तिशाली है. ऋषि परासर के अनुसार गजकेसरी योग के फलस्वरुप व्यक्ति योग्य, कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, जीवन में उच्च पद, अति बुद्धिशाली, वाद-विवाद व भाषण में निपुण होता है. 

गज को बुद्धिमता व ज्ञान के प्रतीक के रुप में जाता है. गज अर्थात हाथी में अपने योग्यता का अभिमान नहीं होता है. उसे अपनी ताकत का समझ -बूझ कर प्रयोग करना आता है. यह योग व्यक्ति को यशस्वी व कुशाग्र बुद्धि वाला बनाता है. गजकेसरी योग के कारण व्यक्ति की आयु में भी वृ्द्धि होती है. 

जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में गजकेसरी योग होता है, उसमें भी उपरोक्त सभी गुण व सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. 

'गज' समान धन प्राप्ति योग
सभी ग्रहों में ग्रुरु को धन का कारक ग्रह कहा है. चन्द्र भी तरल धन के कारक ग्रह के रुप में जाने जाते है. यही कारण है कि यह माना जाता है कि यह योग उतम रुप में बने तो व्यक्ति को "गज" के समान धन प्राप्त होने की संभावनाएं देता है. अर्थात इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त हो सकते है. 

गजकेसरी हाथी + सिंह की योग्यताएं 
यह योग हाथी व शेर के संयोग से बनता है इसलिये इस योग का व्यक्ति सिंह के समान अपने शत्रुओं को हराने वाला, शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखने वाला, परिवक्व वाणी, सभाओं में उच्च पद, अधिकारिक शक्तियां पाने वाला, चतुर बुद्धि व नियोजन करने के बाद कार्य करने वाला बनाता है. चूंकि यह योग गुरु से बन रहा है इसलिये व्यक्ति को धन लाभ की प्राप्ति भी होती है. 

गजकेसरी योग के फल व्यवसायिक क्षेत्र में 
गुरु व चन्द्र यह योग जिन भावों में स्थित होकर बना रहे होते है. व्यक्ति को उन भावों के फल शुभ रुप में प्राप्त होते है. गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति के अपने कार्यक्षेत्र में उच्च स्थान, उच्चाधिकार व यश प्राप्त करने की संभावनाएं बनती है. 

ऎसे में चन्द्र अकेला नहीं होगा. तथा अशुभ माने जाने वाले केमद्रुम योग का निर्माण नहीं हो रहा है. जब कुण्ड्ली में चन्द किसी अशुभ योग में शामिल न हो तो गजकेसरी योग अपने पूर्ण फल देता है. इसलिये जब गुरु या चन्द्र दोनों में से कोई उच्च का, बली होकर गजकेसरी योग बना रहा हों, तथा केमद्रुम योग भी कुण्डली में बन रहा हों हो पीडित चन्द्र अपने फल नहीं दे पाता है.

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