उत्तरप्रदेश: उत्तरप्रदेश राज्यसभा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, जिसमे मायावती बुरी तरीके से हार गई. २०१७ के इस चुनाव में बीजेपी एकतरफा जीती है. इस चुनाव में मायावती से क्या गलती हुई जानते है. मायावती ने दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर भरोसा जताया. उत्तरप्रदेश में लगभग 40 फीसदी दलित वोटर हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 25.9 फीसदी वोट पाकर भी सत्ता से दूर रही.
राज्य की 85 आरक्षित सीटों में से बसपा केवल 15 सीटें जीत पाई थी. जबकि 2007 में 85 में से 62 सीट जीती थी. किन्तु 2014 से बीजेपी ने बसपा के इस वोट बैंक में सेंधमारी की. 2014 आम चुनावों में जाटव वोट 68 फ़ीसदी बसपा के साथ गए थे, लेकिन अन्य दलित वोटर भाजपा के साथ करीब 45 फ़ीसदी आये थे. बसपा को इनका केवल 30 फ़ीसदी वोट ही मिला था. वहीं, यही दलित कभी कांग्रेस का वोटर माना जाता था. इसी सोच के साथ सपा ने कांग्रेस के जरिए दलित वोट खींचने की कोशिश की.
बसपा ने मुस्लिम वोटर्स को देखते हुए 105 मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट तो दिया किन्तु मुस्लिम वोटर्स को अपनी तरफ खिंच नहीं पाए. इसका सबसे बड़ा कारण सपा-कांग्रेस गठबंधन और अन्य छोटे दल जैसे ओवैसी की पार्टी और पीस पार्टी, मिल्लत काउंसिल और उलेमा काउंसिल जैसी पार्टियों ने मुस्लिम वोट खूब काटे. इसके अलावा पहले से जुड़े बड़े नेताओं का एक-एक कर पार्टी छोड़ना भी मायावती के नुकसान का कारण बना.
ये भी पढ़े
कोई भी बटन दबा हो, वोट बीजेपी को ही मिला, मायावती ने की फिर चुनाव करवाने की मांग
एक नदी के दो किनारे हैं सपा और बसपा
अखिलेश के गठबंधन की बात पर मायावती का जवाब