देहरादून : गौरतलब है की मानवाधिकार आयोग और सर्वोच्च अदालत की फटकार के बाद पुलिस थर्ड डिग्री के लिए जो हथियार रखती थी उसे तो बंद कर दिया गया था,लेकिन हाल ही देहरादून जिले के सहसपुर थाना क्षेत्र की धर्मावाला चौकी की इस घटना के दौरान पता चला है की के पुलिस अभी भी उन अजीब हथियारों का उपयोग करती है. खबर के मुताबिक पता चला है की किसी आरोपी से सच कबूल करवाने के लिए इन हथियारों का यूज किया जाता है, इन हथियारों की मार से कभी-कभी तो बेकसूर व्यक्ति भी पुलिस वालो की हाँ में हाँ मिला ही लेता है. इन अजीब हथियारों के नाम भी बहुत ही अजीब है जैसे-समाज सुधारक, ज्ञानवर्द्धक पट्टा, आन मिलो सजना, बच्चों की याद आ रही है, रात की रानी, राजा, फिर कब मिलोगे आदि.
पहले के समय में उत्तरप्रदेश में पुलिस दारोगाओं की पहचान इन्ही के आधार पर होती थी. पुलिस वाले इन हथियारों को बनाकर शरीर के ऐसे भागो में मारते है जिनसे मेडिकल चेकिंग में पकडे जाने की आशंका कम रहती है, कमर के ऊपर मारने से आसानी से पकड़ा जा सकता है. इन हथियारों में पट्टा बनाने में करीब 200 से 250 रुपए लगते है। इसमें लकड़ी का हत्था और आटा चक्की का पट्टा लगाकर, दो नट-बोल्ट लगा दिए जाते है. थर्ड डिग्री में किसी शख्स से सवाल पूछने के दौरान पेट और घुटनों के बीच लकड़ी का बना बेलन रखकर दोनों तरफ सिपाही खड़े हो जाते हैं।
वो सिपाही बेलन को पैरों से आगे पीछे रगड़ते थे, जिससे नसों में खिंचाव की वजह असहनीय दर्द होता है, जिससे आरोपी पूछे सवालो के झट से जवाब भी दे देता है. पानी पिलान- इसमें आरोपी को उल्टा लटका दिया जाता है।इसमें अच्छे से अच्छा आरोपी अपना मुँह खोल देता है. कंबल परेड - इसमें आरोपी की जेल की कंबल लपेट कर जोरदार पिटाई लगाई जाती है, इसमें शरीर पर निशान काम आते है. नाखून निकालना - यह तरीका सबसे खतरनाक होता है जिसमे देखने वाले के भी रोंगटे खड़े हो जाते है.