इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दिवाली मनाई जाती है
इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दिवाली मनाई जाती है
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हिन्दू धर्म में बहुत ही जल्द एक साथ कई त्यौहार दस्तक देने वाले है। दिवाली के ठीक दो दिन पहले धनतेरस पर्व मनाया जाता है। और यह परंपरा काफी पुरानी है। दरअसल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष को धनतेरस मनाई जाती है। जिसके दो दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। धनतेरस पर सोने चांदी के आभूषणो के साथ ही कई प्रकार के इलेक्ट्रानिक सामान की भी खरीदारी की जाती है। धनतेरस का दिन खरीदारी करने के लिए अति क्षुब्ध मन जाता है। अतः हर व्यक्ति धनतेरस पर कोई न कोई वस्तु अवश्य खरीदता है। चाहे वह छोटी वस्तु हो या बड़ी। इसलिए व्यापारी धनतेरस का इन्तेजार करते है।

धनतेरस को लेकर कई रोचक कथाए है। ऐसी मान्यता है की जिस समय समुद्र मंथन किया जा रहा था उस समय भगवान धनवंतरी भी सागर मंथन में प्रकट हुए थे। उस दिन से ही हम धनतेरस मनाते चले आ रहे है। भगवान धनवंतरी आयुर्वेद के जनक दाता है। भगवान धनवंतरी दुखों को हरने वाले व जीवन में सुख समृद्धि के साथ लम्बी उम्र का वरदान देते है। 

सागर मंथन से ही माँ लक्ष्मी भी उतपन्न हुई थी। इस लिए दीपावली धनतेरस के दो दिन बाद मनाते है क्योंकी जिस समय धनवंतरी मंथन से इस दुनिया पर आये थे उस तिथि के दो दिन बाद ल लक्ष्मी भी आई थी। उसी दिन से दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी के पूजन की परंपरा प्रारम्भ हुई। भगवान धनवंतरी के हाथो में अमृत का कलश होता है, इसलिए धनतेरस को छड़ी के बर्तन खरीदना अति शुभ माना ताजा है।

 

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