दूसरों का कल्याण ही शिवपूजा है, संत श्री मोरारी बापू के सद् वाक्य
दूसरों का कल्याण ही शिवपूजा है, संत श्री मोरारी बापू के सद् वाक्य
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1. स्वास्थ्य ठीक न हो तो सबसे पहले इसी का ध्यान रखें। तुलसी को छूने से ही मान लें कि स्नान हो गए। 

2. लोग हिमालय घूमने जाते हैं अौर तस्वीरें खींचने में अटक जाते हैं, जबकि वहां हिमालय को आत्मसात करना है। 

3. अपने नौकर-चाकरों को प्राणों की तरह प्रिय मानो। वे तुम्हारे सहचर हैं। जहां सेवकों को प्यार नहीं, वहां शंकर, विष्णु किसी का वास नहीं।

4. विष्णु का दसवां अवतार सदगुरू होगा। उससे अधिक निष्कलंक और निश्छल कौन हो सकता है।

नर रूप में नारायण के दर्शन के लिए हरेक काे श्रम करना ही चाहिए। आलस्य और प्रमाद मृत्यु है। सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में विष्णु का यही पहला धर्म है-श्रम धर्मा। ब्रह्मा का काम पल भर का है-सृष्टि का सृजन। मगर विष्णु पालनकर्ता हैं। मां बच्चे को जन्म देती है मगर पिता पालन करता है। पालन करना बहुत श्रमसाध्य है। पूरा जीवन लगता है। विष्णु प्रेम धर्मा हैं। वे तरोताजा हैं। प्रेम कभी पुराना नहीं होता। वे ज्ञान धर्मा हैं-कमल की तरह असंग हैं। ध्यान धर्मा हैं-पालन करने वाले को सबका ध्यान रखना जरूरी है। मामूली चूक बड़ा नुकसान कर सकती है। वे समाधि धर्मा हैं-योगनिद्रा में रहते हैं।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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