जानिए आखिर क्यों इस गाँव के लोग बच्चियों की कुत्तो से कराते है शादी
जानिए आखिर क्यों इस गाँव के लोग बच्चियों की कुत्तो से कराते है शादी
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हम स्वदेशी क्रायोजनिक राकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर विशव के टॉप 6 देशों में शामिल हो चुके है। समाज में बेटों के साथ बेटियां भी हर कदम पर अपनी पहचान बना रही है। समाज की बेटियां ना सिर्फ लड़कों के साथ कदम मिला कर चल रही है, बल्कि उनसे आगे निकल रही है। लेकिन आज भी हमारे समाज में परम्पराओं के नाम पर लड़कियों से सम्बंधित कुछ ऐसी कुरुतियाँ चल रही है जो कि हमारे समाज के विकसित होने पर संदेह पैदा करती है। यह ऐसी कुरीतिया है जिनकी एक सभ्य समाज में कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसी ही एक कुरूति है बच्चियों कि कुत्तों से होने वाली शादी।

हालाकि ये शादी सांकेतिक होती हैं, पर होती हैं असली हिन्दू तरीके और रीती रिवाज़ से। लोगों को शादी में आने का निमंत्रण दिया जाता है। पंडित, हलवाई सब बुक किये जाते है। बाकायदा मंडप तैयार होता है और पुरे मन्त्र विधान से शादी सम्पन कराई जाती है। इस शादी में एक असली शादी जितना ही खर्चा बैठता है और उससे भी बड़ी बात कि समाज एवं रिश्तेदार भी इसमें बढ़ चढ़ के  हिस्सा लेते है। शायद आपको एक बार तो यकीन ही नहीं होगा कि ऐसा भी हो सकता है। लेकिन यह बिलकुल सत्य है। हमारे देश में झारखण्ड राज्य के कई इलाकों में परंपरा के नाम पर ऐसी शादियां सदियों से कराई  जा रही है।

इन शादियों को करवाने के पीछे जो तर्क दिए जाते है वो भी उतने ही अजीब है। एक कारण तो ये बताया जाता है कि यदि  बच्ची के ऊपरी मसूड़े में पहला दांत आये तो इसका मतलब होता है कि उस बच्ची के ऊपर अशुभ ग्रहों  का प्रभाव है जिसको दूर करने के लिए दूसरा दांत आने से पहले उसकी सांकेतिक शादी कुत्ते से करा दी जाती है। और दूसरा कारण की अगर किसी बच्ची के जन्म से ही दूध के दांत हैं और वह बचपन से ही बदसूरत है, तो माना जाता है कि उस पर किसी भूत का साया है। उस भूत के साये को उतारने के लिए बच्ची की शादी कुत्ते से करा दी जाती है। माना जाता है कि वो कुत्ता उस लड़की को बुरे साय से बचाए रखेगा और उसे किसी तरह की नजर नहीं लगेगी।

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