मजदूर दिवस पर शुक्रवार को इंदौर बायपास से 60-70 मजदूरों का दल निकला. कुछ के पैरों में चल-चलकर छाले पड़ चुके हैं तो ज्यादातर की जेब खाली हो गई है या बहुत कम पैसे बचे हुए हैं. ज्यादातर वक्त पैदल चलते हैं, किसी ट्रक वाले को दया आ जाए तो वह कुछ दूर तक छोड़ देते है. इन्हीं सब अनुभवों के साथ बायपास के बिचौली मर्दाना जंक्शन पर मजदूरों का समूह भरी दोपहरी में गुजरा तो पुलिस और नगर निगम कर्मियों की उन पर नजर पड़ी. उन लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि वे सूरत से इलाहाबाद की ओर जा रहे हैं. फिर उनके लिए भोजन-पानी की व्यवस्था निगमकर्मियों ने की.
दरअसल इन मजदूरों की इकलौती इच्छा यही है कि वे जल्द से जल्द घर पहुंच जाएं, इसलिए वे लगातार चलते जा रहे हैं. अचानक लॉकडाउन शुरू होने से वे सूरत में फंस गए थे. तब दो-तीन हजार रुपये थे, इसलिए जैसे-तैसे वक्त काट लिया. जब जेब खाली हो गई तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया, इसलिए वे घर की ओर चल पड़े. मजदूर संदीप कुमार ने इस बारें में बताया कि 30-40 मजदूर इलाहाबाद, भदोई और आसपास के हैं, जबकि कुछ सतना के भी हैं. गर्मी में पानी की जरूरत पड़ती है, लेकिन पानी की समस्या भी आती है. कोई हमें देखकर खाना-नाश्ता मुफ्त दे देता है तो पैसे बच जाते हैं, वरना जो 400-500 रुपए बचे हैं, उसी से थोड़ा नाश्ता करके काम चला लेते हैं. चार-पांच दिन पहले वे सूरत से निकले थे.
बता दें की बायपास से गुजर रहे इन भूखे-प्यासे मजदूरों की जानकारी निगम अधिकारियों को मिली तो जोन-19 के सीएसआई खाना लेकर उनके पास पहुंच गए. निगम के अपर आयुक्त रजनीश कसेरा ने बताया कि जानकारी मिलते ही मजदूरों के लिए खाने के पैकेट भिजवा दिए गए थे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि खाने के बाद जब मजदूर तुरंत आगे की तरफ बढ़े तो कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें पेड़ की छांव में बैठाया. मजदूरों में शामिल मनोज कुमार, जलकेश और ईश्वरचंद्र लोगों से गुजारिश कर रहे थे कि किसी ट्रक की व्यवस्था हो जाएगी तो वे आगे निकल जाएंगे. कुछ देर में पुलिसकर्मियों ने एक ट्रक वाले को रोककर मजदूरों को बायपास टोल प्लाजा तक छुड़वा दिया.
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