मां को चढाये जाने वाले प्रसाद को बाँटने से पहले चखते हैं चूहे
मां को चढाये जाने वाले प्रसाद को बाँटने से पहले चखते हैं चूहे
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बीकानेर के पास है छोटा सा कस्बा देशनोक। देशनोक करणी माता के मंदिर के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। इस मंदिर में एक खास बात है जिसने इसे दुनिया में अलग जगह खडा कर दिया है। वो है मंदिर में पाये जाने वाले हजारों चूहे। चूहे इस मंदिर में सदियों से रहते आ रहे हैं। देशनोक बीकानेर से तीस किलोमीटर दूर है। मैं करीब सात आठ साल पहले बीकानेर गया था उस समय मैंने करणी माता के मंदिर को भी देखा था। असल में मेरे बीकानेर जाने की वजह ये मंदिर ही था। 

करणी माता बीकानेर राज घराने की कुल देवी हैं। कहा जाता है उनके आर्शीवाद से ही बीकानेर की स्थापना राव बीका ने की थी। मंदिर की खासियत यहां रहने वाले चूहे है। इन चूहों को मां का सेवक माना जाता है इसलिए इनको कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता।
 
यहां रहने वाले इन चूहों के काबा कहा जाता है। मां को चढाये जाने वाले प्रसाद को भी पहले चूहे ही खाते है उसके बाद ही उसे बांटा जाता है। मंदिर हर तरफ चूहे चूहे दिखाई देते हैं। यहां पर अगर सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो उसे भाग्यशाली माना जाता है। मुझे भी सफेद चूहे के दर्शन हो ही गये।
 
खास बात ये भी है कि इतने चुहे होते हुए भी मंदिर परिसर में बदबू का एहसास भी नहीं होता है। इतने चूहे होते हुए भी आज तक कोई भी मंदिर में आकर या प्रसाद खा कर बीमार नहीं पडा है। ये अपने आप में आश्चर्य है। यहां के पुजारी के घर में तो मैने चूहे किसी बच्चे की तरह ही घूमते देखे। उनके घर के कपडों से लेकर खाने के सामान तक सबमें चूहे ही चूहे दिखाई दे रहे थे।

इसके अलावा मंदिर का स्थापत्य भी देखने के लायक है। संगमरमर का बेहद खूबसूरत इस्तेमाल मंदिर में किया गया है। मंदिर के जालीदार झरोखों पर किया बारीक कुराई का काम बेहद सुन्दर है। मंदिर के विशाल मुख्य दरवाजे चांदी के बने हैं।
भारत की अद्भुत परम्परा और विश्वास का सबसे बडा उदाहरण हैं करणी माता का मंदिर। हमारे कुछ विश्वासों को सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है उनका तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता।

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