तीन सालों में सबसे कम हुआ सैलानियों की वृध्दि दर का आंकड़ा
तीन सालों में सबसे कम हुआ सैलानियों की वृध्दि दर का आंकड़ा
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री जितना विदेशो में जाकर भारत की ब्रान्डिंग कर रहे है, उससे तो सैलानियों की संख्या रिकार्ड स्तर पर बड़ना चाहिए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही हैं। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक पिछले साल की तुलना में भारत आने वाले विदेशी सेैलानियों की तादाद में इस साल अक्टूबर सिर्फ 4 प्रतिशत की बड़ोत्तरी देखी गयी। यह इस प्रतिशत का आंकड़ा पिछले तीन सालों में सबसे कम रहा है। ज्ञात है कि साल 2013 की तुलना की अगले साल 2014 में 10.2 प्रतिशत ज्यादा विदेशी सैलानी भारत आए थे इन आकड़ो से पर्यटन विकास चिंता में है कि आखिर सैलानियों की संख्या में इतनी मामूली बड़ोत्तरी क्यों हो रही है।

भारत में अक्टुबर का महीना बेहद खास होता है और इसे पीक ट्रैवल सीजन की शुरूआत के रूप में देखा जाता है। लेकिन अक्टुबर माह के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेशी सैलानियों को लूभाने में असफल रहा है। अगर पिछले साल की तुलना करें तो पिछले साल के अक्टुबर की तुलना में पिछले महीने भारत आने वाले विदेशी सैलानियों की तादाद में महज 1.7 प्रतिशत की मामूली वृध्दि दर्ज की गयी है जबकी इसकी तुलना में पिछले साल वृध्दि दर की बात करें तो यह 9.6 प्रतिशत की रही थी। विपक्ष इन आंकड़ो से अंतरराष्ट्रीय स्तर मोदी सरकार को विफल घोषित कर रहा है।

विश्लेषक इन सुस्त आकड़ो के कई कारण बता रहे है उनके अनुसार उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि आखिर विदेशी सैलानियों की संख्या में इतनी मामूली बड़ोत्तरी क्यों हो रही है। मोदी सरकार विदेशों में भारत की हाईटेक ब्रान्डिंग और कमजोर रूपया और हवाई टिकटों तथा होटलों में मिल रही छूट आदि से तो इनबाउंड टूरिज्म में तेजी से बड़ोत्तरी होनी चाहिए। लेकिन आंकड़े बिल्कूल विपरित जा रहे है।

पर्यटन मंत्रालय के वर्तमान को लेकर आॅनलाइन ट्रैवल पोर्टल यात्रा के प्रेजिडेंट शरत ढाल कहते है, ‘यूरोप, इंग्लैंड और अमेरिका से भारी संख्या में सैलानी भारत भ्रमण करते है और ऐसा भी नहीं हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था सुदृड नहीं है। एवं भारत लगातार सैलानियों के लिए अपना सकारात्मक और सुरक्षात्मक रवैया अपनाता है और अब इंडस्ट्री भी भारत को टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में भी अपनी अग्रणीय भूमिका अदा कर रही है। हमें ग्रोथ की संभावना वाले देशों का केंद्र में रखकर अब भारत की ब्रान्डिंग में आक्रामक प्रचार की जरूरत हैं। आज विश्वस्तर पर टुरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में हमारा समुचे विश्व में कम से कम 10 से 15 देशों से काॅम्पिटिशन है। इसलिए अब हमें एक फार्मेट में पूरी सोच-समझ के साथ प्लान की जरूरत है जिससे विश्वस्तर पर भारत की ब्रान्डिंग को मजबूती मिले और तेजी से सैलानियों की संख्या में इजाफा हो। क्योंकी ये भारत के विकास के लिए महत्तवपूर्ण हैं।

इन आंकड़ो के बारे में कुछ ट्रेवल कंपनियों की कुछ और ही राय है उनके अनुसार विदेशी सैलानी सुरक्षा को लेकर भारत के लचीले रवैये को लेकर भी भारत आने से कतराते है उनके अनुसार भारत द्वारा सुरक्षा मानकों पर खरा ना उतरने के कारण भारत में आने से असुरक्षित महसूस करते है। लेकिन इन सबके बीच विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटीया सेकने में लगा है विपक्ष का आरोप है कि विदेशों में मोदी की नकरात्मक छवि इसका सबसे बड़ा कारण है।

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