सोमवार को चंद्र पूजा और व्रत का महत्व
सोमवार को चंद्र पूजा और व्रत का महत्व
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हिन्दू धर्म में सोमवार के दिन व्रत रखने का महत्व बताया गया है। यह शिव उपासना से कामनासिद्धि के लिए प्रसिद्ध है। खासतौर पर शिव भक्ति के विशेष काल सावन माह के सोमवार साल भर के सोमवार व्रतों का पुण्य देने वाले माने गए हैं। किंतु सोमवार व्रत रखने की एक ओर खास वजह भी है, जानिए - ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक यह दिन कुण्डली में चंद्र ग्रह के बुरे योग से जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए भी अहम है। दरअसल, चंद्र मानव जीवन और प्रकृति पर असर डालता है और चंद्र के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए ही सोमवार को चंद्र पूजा और व्रत का महत्व बताया गया है।
 
चंद्रमा के होने वाले प्रभावों पर एक नजर........ 

विज्ञान के मुताबिक पृथ्वी समेत अन्य सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। वहीं चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, क्योंकि वह ग्रह न होकर एक उपग्रह है। व्यावहारिक जीवन में भी हम देखते हैं कि चन्द्रमा मानव जीवन के साथ-साथ साथ-साथ पूरे जगत पर ही प्रभाव डालता है। इसका प्रमाण है पूर्णिमा की रात जब चन्द्रमा पूर्ण आकार में दिखाई देता है, तब समुद्र में आता है ज्वार। वहीं जब अमावस्या के आस-पास चन्द्रमा अदृश्य होता है, तब समुद्र पूरी तरह शांत रहता है। इस प्रकार आकाश में चन्द्रमा के आकार घटने-बढने के साथ-साथ पानी और अन्य तरल पदाथों में हलचल भी कम-ज्यादा होने लगती है।

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार ........ 
ज्योतिष विज्ञान कहता है कि चन्द्रमा हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक है और अपनी निकटता के कारण ही हमारे जीवन के हर कार्य व्यवहार पर सबसे अधिक असर डालता है। यही वजह है कि जिन लोगों में जल तत्व की प्रधानता होती है, वे पूर्णिमा के आस-पास अधिक आक्रामक, क्रोधित और उद्दण्ड बने रहते हैं। जबकि अमावस्या के आस-पास एकदम शांत और गंभीर देखे जाते हैं।

राशि के अनुसार ........ 
खासतौर पर जलतत्व राशि जैसे मीन, कर्क, वृश्चिक वाले स्त्री-पुरूषों को सोमवार का व्रत और चन्द्रदेव का पूजन तो जरूर करना ही चाहिए। मानसिक शांति, मन की चंचलता को रोकने और दिमाग को संतुलित रखने के लिए तो चन्द्रदेव के निमित्त किए जाने वाला सोमवार का व्रत ही श्रेष्ठ उपाय है। चंद्रदोष शांत के लिए स्फटिक की माला पहनना तथा मोती का धारण करना शुभ होता है। धार्मिक दृष्टि से चूंकि शास्त्रों में भगवान शिव चन्द्रमौलेश्वर यानी दूज के चांद को मस्तक पर धारण करने वाले बताए गए हैं। शिव कृपा से ही चंद्रदेव ने फिर से सौंदर्य को पाया। इसलिए सोमवार को व्रत रख शिव पूजा से चंद्र पूजा होने के साथ चंद्र दोष और रोग भी दूर हो जाते हैं।

जल चढ़ाओ और जो चाहे मांग लो ........ 
सावन मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार शंकर जी का प्रिय दिन है। इसलिए श्रावण सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने प्रत्येक सोमवार भगवान शिव का व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मास में लघुरूद्र, महारूद्र अथवा अतिरूद्र पाठ करके प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत करना चाहिए।

सावन व्रत विधि ........ 
श्रावण मास में आने वाले सोमवार के दिनों में भगवान शिवजी का व्रत करना चाहिए और व्रत करने के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल,गठ्टा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है.

शिव पूजन में बेलपत्र प्रयोग करना जरूरी ........ 
भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना बिना कहे ही पूरी करते है। बेलपत्र के बारे में यह मान्यता प्रसिद्ध है कि बेल के पे़ड को जो भक्त पानी या गंगाजल से सींचता है, उसे समस्त तीथोंü की प्राçप्त होती है। वह भक्त इस लोक में सुख भोगकर, शिवलोक में प्रस्थान करता है।

पौराणिक मान्यता ........ 
सोमवार के व्रत के विषय में एक पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिये इस व्रत को सबसे पहले किया था। इस व्रत के शुभ फलों के फलस्वरूप ही भगवान शिव उन्हें पति रूप में प्राप्त किया था, उस समय से इस व्रत को मनोवांछित पति की कामना पूर्ति के लिये भी कन्याओं के द्वारा किया जाता है। शिव की आराधना और आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये उपवास करने का विशेष महत्व कहा गया हैं। मुख्य रूप से यह व्रत परिवार और समाज को समर्पित है। इसके अतिरिक्त यह व्रत प्रेम, आपसी विश्वास, भाई चारे और मेलजोल के साथ जीवन जीने का संदेश देता है। शिव व्रतों में सोलह सोमवार के व्रत को सबसे उतम माना गया है। यह व्रत क्योंकि स्त्री और पुरूष दोनों रख रख सकते है। इस व्रत को अविवाहित कन्याएं वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति के लिये करती है, तो सोलह सोमवार का व्रत सौभाग्यवती स्त्री अपने पति की लम्बी आयु, संतान रक्षा के साथ-साथ अपने भाई की सुख-सम्रद्धि के लिये भी करती है।

पुरूष इस व्रत को संतान प्राप्त, धन-धान्य और प्रतिष्ठा के लिये कर सकते है। सोमवार व्रत का नियमित रूप से पालन करने से भगवान शिव और देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है। जीवन धन-धान्य से भरा रहता है। और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सावन सोमवार व्रत का विधार्थी के लिए बहुत महत्व हैं। इस व्रत को रखने से विधार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती हैं। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में चन्द्र पीडित हों, या फिर चन्द्र अपने शुभ फल देने में असमर्थ हों, उन व्यक्तियों को चन्द्र ग्रह की शान्ति के लिये, सावन सोमवार के व्रत का पालन करना चाहिए। निराशावाद व मानसिक सुखों में वृद्धि के लिये भी इस व्रत को करना लाभकारी रहता है। चन्द्र ग्रह के देव भगवान शिव है। क्योकि भगवान शिव ने चन्द्र को अपने सिर पर धारण किया हुआ है। माता के स्वास्थय व मातृ सुख को प्राप्त करने के लिये भी इस व्रत को किया जा सकता है।

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