आज ही के दिन हुआ था पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट, जानिए आज का इतिहास
आज ही के दिन हुआ था पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट, जानिए आज का इतिहास
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आज का दिन बहुत ही अहमियत रखता है, आज ही के दिन 1954 में अमेरिका के बोस्टन में दो ज़िंदा व्यक्तियों के बीच प्रथम सफल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. यह प्रत्यारोपण दो जुड़वां भाइयों रोनाल्ड हेरिक एवं रिचर्ड हेरिक के बीच हुआ था. दोनों एक ही जाइगोट अथवा युग्मज के विकास से पैदा हुए थे. ऐसा इसलिए किया गया जिससे दाता की किडनी को दूसरा शरीर स्वीकार नहीं करे. हेरिक के किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. वे 8 वर्ष तक जीवित रहे. इस ट्रांसप्लांट को कामयाबीपूर्वक अंजाम देने के लिए डॉक्टर जोसेफ मरे को 1990 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल ख़िताब से नवाजा गया. इससे पूर्व 17 जून 1950 को प्रथम किडनी ट्रांसप्लांट किया गया, मगर 11 माह पश्चात् संक्रमण के कारण रोगी ने दम तोड़ दिया था.

वही ब्रिटेन में 74 मिनट जीवित रही बच्ची के ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए. यह सबसे छोटी डोनर है. तत्पश्चात, 1 लाख व्यक्तियों ने ऑर्गन डोनेट करने पर मंजूरी दी है. 1950 के पहले तक ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन को लेकर कई बड़ी कामयाबी वैज्ञानिकों को प्राप्त हो चुकी थी. मगर अभी तक किसी भी इंटरनल ऑर्गन को ट्रांसप्लांट नहीं किया गया था. वैज्ञानिक अब किसी इंटरनल ऑर्गन को ट्रांसप्लांट करने पर काम कर रहे थे. यदि वैज्ञानिक ऐसा करने में कामयाब हो जाते तो ये बड़ी कामयाबी थी.

किडनी का ही क्यों किया गया ट्रांसप्लांट:-
एक्सपर्ट्स ने किडनी को ट्रांसप्लांट के लिए सबसे मुफीद माना क्योंकि मानव शरीर में 2 किडनी होती है. यदि एक किडनी को निकाल भी लिया जाए तब भी इंसान जीवित रह सकता है. 1900 के पश्चात् ही कई बार किडनी ट्रांसप्लांट का प्रयास किया गया मगर हर बार किसी न किसी कारण मरीज की मौत हो गई. इस कारण ट्रांसप्लांट को लेकर एक्सपर्ट्स की उम्मीदें टूटने लगीं. 23 दिसंबर 1954 को एक्सपर्ट्स को ट्रांसप्लांट के सेक्टर में एक बड़ी कामयाबी मिली. 23 वर्ष के रिचर्ड हैरिक को किडनी की बीमारी थी. रिचर्ड हैरिक ने बोस्टन के एक अस्पताल के चिकित्सकों से कांटेक्ट किया. रिचर्ड के मामले में एक अच्छी बात ये थी कि उनका एक जु़ड़वा भाई रोनाल्ड भी था. इस कारण फैसला लिया गया कि रिचर्ड को उनके जुड़वा भाई की किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी. डॉक्टर जोसेफ मरे की टीम ने लगभग 5 घंटे चले ऑपरेशन में किडनी ट्रांसप्लांट की. ये ट्रांसप्लांटेशन कामयाब रहा तथा रिचर्ड 8 वर्ष और जीवित रहे. सर्जरी करने वाले डॉक्टर जोसेफ मरे को पश्चात् में नोबेल पुरस्कार दिया गया.

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