5 मई 1916 को संधवान गांव जिला फरीदकोट पंजाब में माता ईन्द कौर की कोख से जन्मे जैलसिंह के पिता किसान सिंह किसानी के साथ बढ़ई भी थे.माँ का जल्द निधन होने से लालन -पालन मौसी ने किया. पढाई में ज्यादा रूचि नहीं होने से स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं की ,लेकिन मात्र 15 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ स्वतंत्रता सेनानी बन गए .उन्होंने 1938 में प्रजा मंडल का गठन किया . बाद में कांग्रेस के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया.आजादी के बाद वे पंजाब में राजस्व और कृषि मंत्री भी रहे.
कांग्रेस समर्थक जेल सिंह 1969 में इंदिरा गाँधी से अच्छे संबंधों के कारण 1972 में पंजाब के सीएम बनाए गए.1980 में वे देश के गृह मंत्री बने.1982 में नीलम संजीव रेड्डी
का कार्यकाल खत्म होने पर वे 25 जुलाई 1982 को भारत के सातवें राष्ट्रपति बनाए गए.उनका कार्यकाल आरम्भ से अंत तक विवादों से घिरा रहा. उनके ही कार्यकाल में बहुत सी घटनाएं घटी, जिनमे मुख्य रूप से ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गाँधी की हत्या और 1984 में सिक्ख विरोधी दंगा भी शामिल है. राजीव गाँधी के पीएम बनने पर किसी विधेयक को लेकर दोनों में अनबन की खबरें भी सुनने में आई. इसके बावजूद उन्होंने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया.वे 25 जुलाई 1987 को इस पद से रिटायर हुए.
बता दें कि पूरा जीवन आनंदपूर्वक बिताने वाले जैलसिंह 29 नवम्बर 1994 को रोपर जिले के कितारपुर के पास से यात्रा करते समय दुर्घटना का शिकार हो गए .उनकी कार गलत साइड से आ रहे ट्रक से टकरा गई . इस हादसे में जैल सिंह को बहुत चोट भी लगी थी. कई बीमारियों से जूझ रहे इस पूर्व राष्ट्रपति का 25 दिसम्बर को 1994 को चंडीगढ़ में उपचार के दौरान निधन हो गया.इसके साथ ही एक दृढ निश्चयी,साहसी और समर्पित सिख के जीवन का अंत हो गया .उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में किया गया.उस स्थान का नाम एकता स्थल रखा गया .सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया.