नई दिल्ली : करवा चौथ का त्यौहार सुहागनों का त्यौहार है, इस दिन महिलाएं बिलकुल नई नवेली दुल्हन की तरह सजती है, और पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए चंद्रमा की पूजा करती है, इतना ही नहीं इस दिन महिलाए भगवान शिव, पार्वती जी, श्रीगणेश और कार्तिकेय की पूजा भी करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह करवा चौथ क्यों मनाया जाता है, और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
क्यों मनाया जाता है करवाचौथ -
बताया गया है कि एक किवदंति के अनुसार जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया. यमराज के न मानने पर सावित्री ने अन्न-जल का त्याग कर दिया. वो अपने पति के शरीर के पास विलाप करने लगीं. पतिव्रता स्त्री के इस विलाप से यमराज विचलित हो गए, उन्होंने सावित्री से कहा कि अपने पति सत्यवान के जीवन के अतिरिक्त कोई और वर मांग लो.
सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानों की मां बनने का वर दें, जिसे यमराज ने हां कह दिया. पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना भी सावित्री के लिए संभव नहीं था. अंत में अपने वचन में बंधने के कारण एक पतिव्रता स्त्री के सुहाग को यमराज लेकर नहीं जा सके और सत्यवान के जीवन को सावित्री को सौंप दिया. कहा जाता है कि तब से स्त्रियां अन्न-जल का त्यागकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखती हैं.
द्रौपदी द्वारा भी करवाचौथ का व्रत रखने की कहानी प्रचलित है. कहते हैं कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या लिए गए हुए थे तो बाकी चारों पांडवों को पीछे से अनेक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से मिलकर अपना दुख बताया. और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा के लिए कोई उपाय पूछा. भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को करवाचौथ व्रत रखने की सलाह दी थी, जिसे करने से अर्जुन भी सकुशल लौट आए और बाकी पांडवों के सम्मान की भी रक्षा हो सकी.