ठाकुर साब को नदी पार जाना जरूरी था
ठाकुर साब को नदी पार जाना जरूरी था
Share:

tyle="text-align:justify">एक गांव में एक ठाकुर साब रहते थे, उनका काफी दबदबा था। सब उनका बहुत सम्मान करते थे, अगर किसी के मुंह से गलती से भी ठाकुर निकल जाए तो उसकी तबीयत ठीक कर देते थे।
एक बार बहुत बरसात हुई, नदी चढ़ी हुई थी।
ठाकुर साब को नदी पार जाना जरूरी था, किनारे पर खड़े होकर सोच रहे थे कि क्या करें।
तभी उनका पैर फिसल गया और वो नदी में गिरकर बहने लगे। किसी की निगाह उन पर नहीं पड़ी।
ठाकुर साब ने ये सोचकर बचाने की गुहार नहीं लगाई ,कि लोग क्या कहेंगे। बहते - बहते गांव के आखिरी छोर पर पहुंच गए।
वहां एक किनारे पर एक किसान की झोपड़ी थी। उसकी पत्नी की नजर ठाकुर पर पर गई, तो वो जोर से चिल्लाई- मुन्ना के बाबू! जल्दी आओ, देखो ठाकुर बह रहा है। किसान लपक के बाहर आया, तो ठाकुर साब उस को देख कर बोले- अबे, समझा ले अपनी घरवाली को। 
अहीर को पूरा माजरा समझ आ गया, वो हाथ जोड़कर विनम्रता पूर्वक बोला ये तो मूर्ख है ठाकुर साब, आप तो बहो।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -