'नाजायज' शब्द हुआ खत्म, बिना तलाक दूसरी शादी पर भी लगा प्रतिबंध... उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ UCC बिल
'नाजायज' शब्द हुआ खत्म, बिना तलाक दूसरी शादी पर भी लगा प्रतिबंध... उत्तराखंड विधानसभा में पारित हुआ UCC बिल
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देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक बुधवार को सदन में पारित कर दिया गया है । विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के उपरांत  उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है। ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित होने से पहले बिल पर बोलते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनता हुआ दिखाई दे रहा है। हम इतिहास रचने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना जरुरी है।

पुष्कर धामी ने कानून से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को सदन के सामने रख दिया। उन्होंने इस बारें में कहा है कि इस कानून का उद्देश्य तुष्टीकरण नहीं बल्कि समाज में समानता लेकर आना है। धामी  ने इस बारें में आगे बोला है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हमने उत्तराखंड की जनता के सामने प्रस्ताव रखा था कि हम UCC कानून बनाएंगे और उसके लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बनाने वाले है। उत्तराखंड में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना जरुरी है।

समान नागरिक संहिता के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बोलते हुए धामी ने ये भी बोला है कि नए कानून के लागू होने  के उपरांत पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूर्णतः प्रतिबंधित होने वाला है। जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की तरह विवाह और विवाह विच्छेद का पंजीकरण करवाया जाएगा। ये पंजीकरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा। कोई पहला विवाह छिपाकर दूसरा विवाह करेगा तो पंजीकरण के माध्यम से इसका पता लग जाएगा। इससे माताओं और बहनों में सुरक्षा का भाव आने वाला है।

धामी ने साफ किया कि अगर विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सका है तो ऐसी स्थिति में भी विवाह अमान्य नहीं माना जाने वाला। पति-पति के विवाह विच्छेद या घरेलू झगड़े के समय में 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास होने वाली है। धामी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि नए कानून में जायज या नाजायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा। बच्चे नाजायज नहीं होते, वह पूरी तरह निर्दोष होते हैं इसलिए नाजायज शब्द को समाप्त किया गया है। दोनों ही तरह के बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा।

धामी ने ये भी बोला है कि UCC में लिव-इन संबंधों को भी परिभाषित भी कर दिया गया है। वयस्क पुरुष 21 साल का, 18 वर्ष की महिला लिव इन में रह सकती है। इसके लिए उन्हें पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। इससे विवाह से संबंधित अपराध को रोका जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला है कि ऐसे सभी प्रावधान जो भी हमारी सब पीढ़ियों के लिए अच्छे हो सकते हैं, उसको UCC में दिया गया है। इस तरह संहिता के जो प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर चर्चा भी कर चुके है, मैं ये कह सकता हूं कि हमारे शास्त्रों में जो वर्णित है, यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता- ये उक्ति चरितार्थ होती है। साथ ही पीएम के नारी शक्ति वंदन का संकल्प भी चरितार्थ होता है।

धामी यहाँ भी नहीं रुके उन्होंने इसके आगे कहा है  कि जैसे ही यह ऐक्ट के रूप में लागू होगा, किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए पहले से ही व्यवस्था बना भी बनाई जा चुकी है। आगे जहां-जहां सुधार की जरूरत होने वाली है, हम संशोधन की तरफ आगे बढ़ेंगे। बता दें कि बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा में विपक्षी दल के नेता की ओर से UCC बिल को प्रवर समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से रद्द भी किया जा चुका है। वहीं बिल के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकृत कर लिया।

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