समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कही यह बात
समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कही यह बात
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नई दिल्लीः रामजन्मभूमि और धारा 370 के बाद समान नागरिक संहिता बीजेपी के तीसरे कोर एजेंडे में शामिल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए अब तक कोई कोशिश क्यों नहीं किया गया। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक मामले के फैसले में ये टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा, देश में गोवा इसका शानदार उदाहरण है, जहां धर्म से परे जाकर समान नागरिक संहिता लागू है।

यह तब है जब शीर्ष अदालत ने ही तीन मामलों में साफ तौर पर इसकी हिमायत की थी। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां कुछ सीमित अधिकारों के संरक्षण को छोड़कर समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों पर लागू होता है। संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक तत्वों पर विचार करते हुए अनुच्छेद-44 के जरिए यह आशा और उम्मीद जताई थी कि राज्य, सभी नागरिकों के लिए पूरे भारत वर्ष में समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करें। हालांकि, अब तक इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया।

हिंदू कानून तो 1956 में वजूद में आया, मगर देश के सभी नागरिकों पर समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। पीठ ने यह भी कहा, 1985 में मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो मामला, 1995 में सरला मुद्गल व अन्य बनाम भारत सरकार मामला और 2003 में जॉन वेल्लामैटम बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता की हिमायत की थी, मगर अब तक इसे लेकर कोई केशिश नहीं किया गया। बता दें कि धारा 370 हटने और रामजन्मभूमि केस की रोज सुनवाई के बाद सब की नजरें सरकार के अगले कदम पर है। 

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