नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शैक्षणिक सत्र 2019-20 में आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्ण समुदाय के छात्रों को 10 प्रतिशत सवर्ण कोटा का फायदा नहीं मिल पाएगा. मेडिकल व पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों में दाखिलों के लिए इस वर्ष यह कोटा प्रभावी नहीं किया सकेगा. शीर्ष अदालत ने सवर्ण विद्यार्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने से इंकार कर दिया है.
शीर्ष अदालत ने इस मामले में साफ़ किया है कि संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया नवंबर से आरंभ है और आरक्षण से सम्बंधित प्रावधान बाद में आया है. इसलिए इसे पहले से प्रभावी नहीं किया जाएगा. इस निर्णय से 25 छात्र प्रभावित होने वाले हैं. महाराष्ट्र सरकार को भी अदालत के इस फैसले से बड़ा झटका लगा है. इस साल सवर्ण आरक्षण का फायदा आर्थिक तौर पर पिछड़े सामान्य वर्ग को नहीं मिल पाएगा. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर सवर्ण आरक्षण को लागू किया जाता है तो एडमिशन की पूरी प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो जाएगी.
शीर्ष अदालत ने कहा है कि आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को एडमिशन में रियायत देने के लिए पहले सीटों की तादाद भी बढ़ाई जानी चाहिए.सर्वोच्च न्यायालय ने सवर्ण आरक्षण पर सुनवाई करते हुए इस बारे में अंतरिम आदेश जारी कर दिए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने सवर्ण आरक्षण के विरुद्ध दाखिल याचिका को खारिज करने की गुजारिश की थी.
एनबीएफसी के लिये कर्ज प्रतिभूतिकरण की राहत अवधि तिथि में हुई बढ़ोतरी
गुरुवार को बढ़त के साथ हुई रुपये की शुरुआत
नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले आज कम हुए पेट्रोल और डीजल के दाम