रिलायंस को मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत
रिलायंस को मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत
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नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय की एक सुनवाई से रिलायंस कम्युनिकेशंस को राहत मिली है। दरअसल न्यायालय में रिलायंस के 4 जी का लाइसेंस देने में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया। लाइसेंस रद्द करने की मांग करने वाली याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही थी। मगर न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में कहा गया कि रिलायंस को केवल डाटा सर्विस हेतु लाइसेंस प्रदान किया गया था मगर बाद में 40 हजार करोड़ रूपए की फीस के स्थान पर 1600 करोड़ रूपए में वाॅयस सर्विस का लाइसेंस दिया गया।

सरकारी खजाने को नुकसान भी पहुंचाया गया। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर द्वारा कहा गया कि इस सेक्टर में इस तरह का तकनीकी कार्य किया जाना चाहिए। जिसके चलते जनहित याचिका वास्तविकता में दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि उनका किसी भी तरह का व्यावसायिक हित नहीं है।

एनजीओ सेंटर फाॅर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाए हैं। अपने सवालों के माध्यम से न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने सवाल किए। ये सवाल सीपीआईएल वकील प्रशांत भूषण से किए गए थे।

सीपीआईएल का सिद्धांत क्या है ?

आखिर आप क्या केवल जनहित याचिका दायर करते हैं?

क्या आपके पास शिकायत आती है?

वह किस तरह से आती है?

इसकी जांच किस तरह से हो सकती है?

इसके लिए पहले तो सर्वोच्च न्यायालय को संतुष्ट करना होगा। व्यापार में विरोधियों के कहने पर जनहित याचिका दायर नहीं की जाती है। प्रशांत भूषण द्वारा कहा गया कि इस तरह के मामले जनहित से जुड़े हैं। जनता के पैसे का दुरूपयोग कैसे होता है। भले ही किसी भी तरह का व्यावसायिक हित जुड़ा है या नहीं। गौरतलब है कि इस याचिका मे यह आरोप लगाया गया था कि रिलायंस को केवल डाटा सर्विस के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया है जबकि इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.

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