नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में यह कहा गया है कि भड़काऊ भाषण के विरूद्ध कानूनी प्रावधान सही है और भाजपा ने अपने ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी के विरूद्ध हिंदूओं और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने के आरोप में लगाए गए अभियोग को उचित ठहराया गया। इस मामले में यह बात भी सामने आई है कि मंत्रियों को अपनी लगाम कसने में असफल रहने पर केंद्र सरकार के साथ ही भाजपा को आलोचना झेलनी पड़ी है। दरअसल उनके वक्तव्य को हेट स्पीच के तहत लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी पर धार्मिक भावनाऐं भड़काने और असहिष्णु माहौल को बढ़ाने के चलते आरोप लगाया है। जिसके अंतर्गत उन्हें हेट स्पीच का आरोपी बताया गया है। उल्लेखनीय है कि हेट स्पीच किसी भाषण, आचरण या फिर व्यवहार, लेखन और चित्रण को कहा गया है। इससे हिंसा भड़कने की संभावना है। धार्मिक भावनाऐं इससे आहत हो सकती हैं। या फिर विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास या फिर भाषा के आधार पर दुश्मनी पनप सकती है। ऐसे में इस बात पर प्रतिबंध लगाया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह भी कहा गया है कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी समुदाय या फिर वर्ग से नफरत फैलानी की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यदि ऐसा किया गया तो देश में अव्यवस्था और दंगे हो सकते हैं। हालांकि अपने उपर लगे कानूनी आरोपों को स्वामी ने चुनौती दी। स्वामी द्वारा हैट स्पीच पर आईपीसी की वर्तमान धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई।