निशक्तों की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की मोदी सरकार की तारीफ
निशक्तों की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की मोदी सरकार की तारीफ
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सुप्रीम कोर्ट ने निशक्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्त स्थानों पर नियुक्तियों के मामले में केंद्र सरकार के कदम की सराहना की है। कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा कर दिया। अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने निशक्त व्यक्तियों के लिए 3 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने के आदेश की अवज्ञा की है।

जस्टि‍स रंजन गोगोई और जस्टि‍स एनवी रमण की बेंच ने कहा, हमने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया। सॉलिसीटर जनरल द्वारा पेश संग्रह के मद्देनजर ऐसा प्रतीत होता है कि इन पदों पर भर्ती के लिए सरकार स्पष्ट रूप से प्रतिबद्ध है। बेंच ने आगे कहा, हम यह नहीं कह सकते कि इस न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की गई है। कोर्ट ने कहा कि अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार के अनुसार, 15 हजार से अधिक रिक्त स्थानों पर नियुक्तियां करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और यह अगले साल फरवरी तक पूरी हो जाएगी।

कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की याचिका पर यह आदेश दिया। इस संगठन ने निशक्त व्यक्तियों के लिए नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण प्रदान करने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने के कारण कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग व इसके सचिव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया था। बेंच ने इस मामले मे याचिका का निबटारा करते हुए कहा कि 15 हजार से अधिक पदों पर नियुक्तीय करना बड़ी प्रक्रिया है और इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कोर्ट ने सरकार की इस कवायद को सकारात्मक कदम करार दिया।

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