पुण्यतिथि विशेष : बॉलीवुड के पहले रियल 'ऐंटी हीरो' थे सुनील दत्त....
पुण्यतिथि विशेष : बॉलीवुड के पहले रियल 'ऐंटी हीरो' थे सुनील दत्त....
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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता व राजनेता के रूप में अपनी अदम्य पहचान को स्थापित करने वाले अभिनेता सुनील दत्त की आज 10वीं पुण्यतिथि है। अभिनेता सुनील दत्त को गुजरे हुए 11 साल हो गए हैं। 25 मई 2005 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया था. आपको बता दे की जिस समय सुनील दत्त का निधन हुआ तब वे केंद्रीय खेल और युवा मामलों के मंत्री थी। वे पांच बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे। सुनील दत्त पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने सही मायने में ‘एंटी हीरो’ की भूमिका निभायी और उसे स्थापित करने का काम किया।

06 जून 1929 को जन्में बलराज रघुनाथ दत्त उर्फ सुनील दत्त बचपन से ही अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखते थे। सुनील को अपने कैरियर के शुरूआती दौर में काफ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिये उन्हें बस डिपो में चेङ्क्षकग क्लर्क के रूप में काम किया जहां उन्हें 120 रूपये महीना मिलता था। इस बीच उन्होंने रेडियो सिलोन में भी काम किया जहां वह फिल्मी कलाकारो का साक्षात्कार लिया करते थे । प्रत्येक साक्षात्कार के लिए उन्हें 25 रूपए मिलते थे। सुनील दत्त ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म ‘रेलवे प्लेटफार्म’ से की। वर्ष 1955 से 1957 तक वह फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे।

‘रेलवे प्लेटफार्म’ फिल्म के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गये । उस दौरान उन्होंने कुंदन,राजधानी, किस्मत का खेल और पायल जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई. सुनील दत्त की किस्मत का सितारा 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘मदर इंडिया’ से चमका। इस फिल्म में उनका किरदार एंटी हीरो का था। कैरियर के शुरूआती दौर में एंटी हीरो का किरदार निभाना किसी भी नये अभिनेता के लिये जोखिम भरा हो सकता था लेकिन सुनील ने इसे चुनौती के रूप में लिया और एंटी हीरो का किरदार निभाकर आने वाली पीढ़ी को भी इस मार्ग पर चलने को प्रशस्त किया।

एंटी हीरो वाली उनकी प्रमुख फिल्मों में जीने दो, रेशमा और शेरा, हीरा, प्राण जाए पर वचन न जाए, 36 घंटे,गीता मेरा नाम, जख्मी, आखिरी गोली, पापी आदि प्रमुख हैं। सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, "मेरे पिता की मौत कांग्रेस के कारण हुई। कांग्रेस ने एक सीनियर लीडर होने के नाते उनकी एक नहीं सुनी और संजय निरुपम को पार्टी में ले लिया। जब संजय शिव सेना में थे, तब उन्होंने उन्हें (सुनील दत्त) अपशब्द कहे, उनपर कई आरोप लगाए। इस वजह से ही उनकी डेथ हुई।"

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