पिछले कुछ दशकों में चीन ने भी अपने एजुकेशन फील्ड में काफी उन्नति की है. चीन ने न केवल चीन के स्टूडेंट्स के लिए बल्कि विदेशी स्टूडेंट्स के लिए भी पढ़ाई की काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई है ताकि चीन में भी ज्यादा से ज्यादा विदेशी स्टूडेंट्स आकर अपनी पढ़ाई कर सके. हाल के ही कुछ वर्षों में चीन में भी विदेशी स्टूडेंट्स का आकर पढ़ाई करना काफी अधिक हो गया है. अब एजुकेशन के फील्ड में चीन ने भी अपनी एक अलग पहचान बना ली है. US, UK और ऑस्ट्रेलिया के बाद चीन दुनिया का चौथा मेडिकल एजुकेशन हब बन गया है.
चीन ने 2012 में अपनी GDP का 4% अपने एजुकेशन पर खर्च करके अपने लक्ष्य को काफी हद तक प्राप्त कर लिया है. पिछले दशक में चीन में कॉलेजों और यूनिवर्सिटी की संख्या बढ़कर दोगुनी (2,409) हो गई है. अपने 5 ईयर प्लान के तहत् यह 2015 तक वेस्ट को टक्कर देगा. चीन के 25 इंस्टिट्यूट क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग 2013-14 में थे. 2012 में चीन अमेरिका के स्टूडेंट्स के लिए पांचवा सबसे पसंदीदा स्टडी डेस्टिनेशन रहा. एक रिपोर्ट के अनुसार 2012 में 3,20,000 विदेशी स्टूडेंट चीन में पढ़ने आए थे. 2010 के बाद यहां 55,000 विदेशी स्टूडेंट्स का इंक्रीमेंट हुआ. 2020 तक यहां पर 5,00,000 विदेशी स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए लाने का लक्ष्य है, इसके लिए चीन ने अधिकतर विदेशी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की भी योजना बनाई है.