भगवान श्री हनुमान ही अष्टचिरंजीव में प्रमुख माने गए हैं। श्री राम के परम भक्त श्री हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धियां और नव निधियां हैं। ऐसे में भगवान कई तरह के रूप धर सकते हैं यही नहीं वे विराट रूप धर लेते हैं तो सूक्ष्म रूप भी धर लेते हैं। ऐसे ही श्री हनुमान जी का कहीं कहीं पर पंच मुखी स्वरूप में पूजन होता है। आखिर क्यों होता है भगवान का पंचमुखी स्वरूप में पूजन। दरअसल भगवान श्री हनुमान ने राम - रावण युद्ध के दौरान अहिरावण से मुकाबला किया था। अहिरावन मायावी था। वह छद्म तरीके से बचकर पाताल जाने लगा।
पाताल में उसने बचने का जतन किया लेकिन केसरीनंदन अंजनि के लाल श्री हनुमान जी उसकी माया को जान गए। वे तो रूद्रावतार कहे गए हैं। हनुमान जी पाताल पहुंचे। वहां उन्होंने निद्रा में गई सेना को देखा और अपहृत लक्ष्मण को तलाशा। अपने प्रभु श्रीराम को भी पाताल ले जाने वाले अहिरावण का मुकालबा किया।
मान्यता के अनुसार अहिरावण की मृत्यु वहां पर पांच दिशाओं मे रखे दीप बुझाने से हो जाती। ऐसे में श्री हनुमान जी ने पंचमुख स्वरूप धारण कर पांच दिए एक साथ जला दिए और अपने प्रभु और उनके अनुज लक्ष्मण जी को मुक्त कर वापस पाताल से लेकर आए।