बोलना भी एक कला है, आप भी कुछ इस तरह इस कला को निखारें
बोलना भी एक कला है, आप भी कुछ इस तरह इस कला को निखारें
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बात करने की हो कला तो आप भी बड़े से बड़े कार्य को लोगों की मदद से पूर्ण कर पायेगें .बातों के जरिये आप अपने व्यापार को बढा पायेगें .
आज हमारे जीवन में शब्दों की बड़ी महत्वता है .हमारी वाणी से निकले शब्द ही हमें आगे बढ़ाने और नीचे गिराने में आगे आते है .बोलने की कला लोगों को एक उचाई तक ले जाती है .आप भी यदि अच्छे शब्दों का प्रयोग करते है बोलने का धन सीखते है तो आने वाले समय में उन्नति को हासिल करेगें .

बिजनेस मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट जैसे अन्य क्षेत्रों में बात करने की कला बहुत महत्त्व रखती है .इसके जरिये आप एक अच्छे स्तर तक पहुंच सकते है .

यदि आप भी इस कला को अर्जित करना चाहते है तो अपनाएँ इन तथ्यों को -

बोलना शुरू कर दें

ज्यादातर लोगों को बोलने को लेकर इसलिए झिझक होती है, क्योंकि वे अपने विचारों को एक रूप नहीं दे पाते हैं। उन्हें लगता है कि वे धाराप्रवाह बोल नहीं पाएंगे। अगर आप सार्वजनिक मंच पर बोलने जा रहे हैं तो एक बात खयाल रखें कि आप जो बात कहना चाहते हैं, उसे अच्छी तरह से कहें और जो बात नहीं कह पा रहे हैं, उसके बारे में विचार न करें। श्रोता वही सुनेंगे जो आप कहेंगे। इसलिए आप बोलने का मकसद याद रखें। बोलने के बारे में ज्यादा विचार न करें। यह न सोचें कि पब्लिक आपके बारे में गलत विचार करेगी। अपनी सफलता या विफलता के बारे में सोचने के बजाय अपने विचारों को एक रूप देने की कोशिश करें। अपने व्यक्तित्व के मजबूत पक्ष के बारे में सोचें। पता करें कि आपको सबके सामने बोलने में झिझक क्यों होती है। अगर आप पूरी तैयारी के साथ बोलते हैं तो आपकी घबराहट दूर हो जाती है। खुद के बारे में ज्यादा विचार करना बंद कर दें। लोग तारीफ करें तो उसे स्वीकार करें। खुद को पॉजिटिव बनाए रखें। पॉजिटिव विचारों से मन का डर दूर होगा।


परिचितों से शुरूआत
अपनी बात को रोचक अंदाज में कहने की कोशिश करें। आपकी बातों में नए विचार होने चाहिए। आपको किसी की बुराई करने के बजाय अच्छे आइडियाज पर चर्चा करनी चाहिए। आपको प्रेरक पुस्तकों और महापुरुषों के उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात को आगे बढ़ाना चाहिए। सीधे सार्वजनिक मंच पर बोलने के बजाय पहले अपने परिचितों के बीच में बोलने का अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास करने से आपको अपनी कमियों के बारे में पता लगता है। आपको अपने दोस्तों से अपने बोलने के लहजे के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। आपके दोस्त आपको खुलकर बता सकते हैं कि आप किस तरह की गलतियां ज्यादा कर रहे हैं। आप लगातार अभ्यास से अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं। जब आप अपने परिचितों के बीच में सहजता से बोलने लगते हैं तो अपरिचितों के बीच में भी बोलना शुरू कर सकते हैं। जैसे-जैसे ज्यादा लोगों के बीच में बोलने का अभ्यास करेंगे, वैसे-वैसे आपके मन का डर दूर हो जाएगा। आपको अपनी कमियों को दूर करना चाहिए।


प्रेक्टिस है जरूरी
बोलने के प्रति मन में बैठे डर को दूर करने के लिए हर तरह के विषय पर बोलने का अभ्यास करना चाहिए। जब भी घर-परिवार या दोस्तों के बीच में किसी विषय पर चर्चा हो तो अपनी राय जरूर देनी चाहिए। अपनी बात इस तरह से कहनी चाहिए कि हर कोई आपकी बात पर गौर करे। एक ही विचार को बार-बार दोहराने से बचना चाहिए। अपने डर पर आपको विजय पानी होगी। शुरू में खुद को असहज महसूस करेंगे, लेकिन लगातार प्रयास करते रहें। धीरे-धीरे आप महसूस करेंगे कि आपको अब अपनी बात कहने के लिए कोशिश नहीं करनी पड़ती है और आप सहजता से अपने विचारों को सबके सामने प्रकट कर पाते हैं। आपको अच्छे वक्ताओं को सुनना चाहिए। आपको उनकी शैली पर गौर करना चाहिए। इससे पता लगता है कि अच्छे वक्ता बोलते समय किन बातों का खयाल रखते हैं।


हमेशा मुस्कुराते रहें
बातचीत के दौरान लोग आपको आपके हाव-भाव से भांपने की कोशिश करते हैं। अगर आपकी बॉडी लैंग्वेज पॉजिटिव होगी तो लोग आपकी बातों के कायल हो जाएंगे। अगर आप निराश या थके-थके अपनी बात कहेंगे तो लोग आपकी बातों पर ध्यान नहीं देेंगे। आप जितनी ज्यादा ऊर्जा और जोश के साथ अपनी बात कहेंगे, उसका प्रभाव भी उतना ही ज्यादा होगा। जरूरी नहीं है कि आप बहुत ज्यादा जोर से बोलें। आप सामान्य तरीके से बोलते हुए भी लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। किसी प्रेजेंटेशन या सार्वजनिक मंच पर बोलने के दौरान आपको हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए। अगर आप मुस्कुराते हुए अपनी बात कहते हैं तो सुनने वालों से आपका एक जुड़ाव बन जाता है।

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