जब गांगुली ने नकार दिया था अंपायर का फैसला, पढ़िए दादा की अनसुनी दास्तान
जब गांगुली ने नकार दिया था अंपायर का फैसला, पढ़िए दादा की अनसुनी दास्तान
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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली आज अपना 44 साल के हो गए है. सौरव गांगुली टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक माने जाते है. खिलाडी उन्हें दादा के नाम से संबोधित करते हैं. वैसे अपने दौर में सौरव गांगुली मैदान और मैदान के बाहर अपनी दादागिरी के लिए काफी मशहूर रहे. गांगुली को पहली बार 1991-92 में ऑस्ट्रेलिया टूर पर गई टीम इंडिया में शामिल किया गया था. आज सौरव गांगुली के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प घटनाओं के बारे में बताते है.

सौरव गांगुली की अगुवाई में जब भारतीय टीम ने 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्‍ट ट्रॉफी जीती थी तो दादा ने लार्ड्स ग्राउंड की बालकनी में अपनी शर्ट उतारकर जश्‍न मनाया था. यह क्रिकेट इतिहास की ऐतिहासिक घटना में से एक थी. इसके लिए गांगुली की आलोचना भी हुई थी. कई लोगों ने इसे लॉर्ड्स मैदान का अपमान बताया था. हालाँकि अपनी आलोचना पर गांगुली ने कहा था कि यदि आपके लिए लॉर्डस मक्का है तो हमारे लिए वानखड़े इंडियन क्रिकेट का मक्का है. गौरतलब है कि इससे पहले एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने भारत में कुछ ऐसा ही किया था. माना जाता है कि इसी के जवाब में गांगुली ने इस तरह जश्न मनाया था.

साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान टीम सिलेक्ट हो रही था. उस समय हरभजन सिंह नए थे. ऐसे में सिलेक्ट हरभजन सिंह को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन गांगुली हरभजन सिंह को टीम में शामिल करने के लिए अड़ गए. उन्होंने सिलेक्टर्स से साफ कह दिया जब तक हरभजन टीम में नहीं आयेगा, मैं इस कमरे से बाहर नहीं जाऊंगा. आख़िरकार सिलेक्टर्स को गांगुली के आगे झुकना पड़ा.

1998 में हुए बैंगलुरु टेस्ट में अंपायर ने गांगुली को आउट दे दिया था. हालांकि गांगुली को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने आउट मानने से इंकार कर दिया. इसके बाद उन पर एक वनडे मैच का बैन लगा दिया गया था.

2001 में श्रीलंका के खिलाफ मैच में जब अंपायर ने गांगुली को आउट दिया तो उन्होंने गुस्से में अंपायर को ही बैट दिखा दिया. इसके बाद बॉलिंग के दौरान भी उन्होंने अंपायर से बहस की, जिसके बाद उनपर एक और मैच का बैन लगा दिया गया था.

भारतीय इतिहास के सबसे बुरे दौर में से एक गांगुली-चैपल विवाद उस समय काफी सुर्ख़ियों में रहा था. 2005 में तत्कालीन कोच चैपल ने गांगुली से अपनी बैटिंग सुधारने की बात कही थी. अगले मैच में गांगुली ने शतक बनाया और मीडिया को बताया कि चैपल चाहते हैं कि मैं खेलना छोड़ दूं. गांगुली का यह बयान काफी सुर्खियों में रहा था. इस दौरान गांगुली को दो साल तक टीम से बाहर रहना पड़ा था.

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