कम हो गया सोनापत्ती देने का चलन, नहीं बचे शमी के पेड़
कम हो गया सोनापत्ती देने का चलन, नहीं बचे शमी के पेड़
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उज्जैन : देशभर में विजयादशमी पर्व की धूम अभी से ही छाने लगी है। हालांकि अभी लोग शक्ति पर्व नवदुर्गोत्सव की आराधना में लगे हैं। मगर शाम तक नवरात्रि का औपचारिक समापन हो जाएगा। इसके बाद श्रद्धालु विजयादशमी अर्थात् दशहरे की तैयारी में लगेंगे। विजयादशमी के इस पर्व के साथ कुछ परंपराऐं और धार्मिक मान्यताऐं भी जुड़ी हुई हैं। जिसमें से कुछ मान्यताऐं हैं जिसमें विजयादशमी के अगले दिन अर्थात् दशहरे के दूसरे दिन जब लोग विजयादशमी पर्व की शुभकामनाऐं लोगों को देने जाते हैं तो वे सोना पत्ती जो कि शमी वृक्ष का पत्ता होता है वह देते हैं और बदले में आशीर्वाद लेते हैं।

मगर अब यह चलन कम ही देखने को मिलता है। दरअसल आधुनिक मान्यताओं के कारण लोग अब आधुनिक गिफ्ट्स  देने लगे हैं। तो दूसरी ओर सोनापत्ती देने का चलन कम हो गया है। कई लोगों की व्यस्तता और प्रोफेशन ऐसे हैं जिसमें उन्हें त्यौहार मनाने के लिए अधिक समय तक नहीं मिलता है। ऐसे में त्यौहारों का मजा सीमित हो गया है। दूसरी ओर अब सोनापत्ती वितरण भी चंद लोग ही करने लगे हैं।

इसके पीछे एक कारण यह भी सामने आता है कि छायादार और पर्यावरण में आॅक्सीजन को संतुलित रखने में मदद करने वाले शमी के वृक्ष ही कम बचे हैं। हालात ये हैं कि अब शमी के वृक्ष कम ही देखने को मिलते हैं। शहरीकरण और बढ़ती काॅलोनियों के चलते इन वृक्षों को काट दिया गया। जिसके कारण देश में ये वृक्ष काफी कम हैं। कई जगह तो इक्का दुक्का ही वृक्ष दिखाई देते हैं।

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