सूर्यास्त के बाद पूजा करने के कुछ नियम
सूर्यास्त के बाद पूजा करने के कुछ नियम
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वैसे तो पूजा किसी भी समय की जा सकती है क्योंकि परम पिता परमात्मा को याद करने में क्या बुराई, उन्हें कभी भी किसी भी समय याद किया जा सकता है. उन्हें स्मरण करने का कोई समय अथवा स्थान विशेष नहीं होता उन्हें कभी भी किसी भी हालत में याद किया जा सकता है लेकिन उनके पूजन के लिए शास्त्रों में कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। जिनका पालन अवश्य करना चाहिए अन्यथा पुण्य के बजाय लगता है पाप.

आज हम आपको बताते हैं की पूजा में किस किस तरह का ध्यान रखना चाहिए...

हनुमान जी की पूजा आधे प्रहर (12 से 1 बजे) के बीच नहीं करनी चाहिए। अन्य देवी-देवताओं के लिए कोई भी ‌न‌ियम निर्धारित नहीं है। उनका पूजन दिन-रात कभी भी किया जा सकता है। रात की पूजा करते समय कुछ न‌ियम निर्धारित किए गए हैं।

सूर्यास्त के उपरांत शंख नहीं बजाना चाह‌िए क्योंकि सभी देवी-देवता सोने चले जाते हैं। शंख ध्वन‌ि से उनकी नींद में व्यवधान पड़ता है और अशुभता का संचार होता है।

सूर्य भगवान की पहली किरण जब धरती पर पड़ती है तो दिन का आगाज होता है इसलिए वो दिन के साक्षात देवता माने जाते हैं। दिन में जब भी कोई पूजन करें तो सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए लेकिन रात को सूर्य पूजा नहीं करनी चाहिए।

सूर्यास्त के बाद तुलसी पत्ता और दूर्वा नहीं तोड़नी चाहिए।

रात में पूजा करने के उपरांत पूजन में उपयोग की गई सामग्री जैसे फूल, अक्षत और अन्य चीजें सारी रात ऐसे ही पड़ी रहने दें। सुबह स्वच्छ और पवित्र होकर इन्हें इनके स्थान से हटा कर उपयुक्त स्थान पर रखें।

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