गीता और व्हाट्सएप - अगर आजकल के बच्चों को व्हाट्सएप की जगह गीता दे दी जाये तो....
बाप : ओ बेवकूफ़ । मैंने तुमको धार्मिक पुस्तक दी थी पढ़ने के लिए क्या तुमने पढ़ी? कुछ, दिमाग में घुसा?
बेटा : हां पिताजी पढ़ ली। और अब आप....मरने के लिए तैयार हो जाओ (कनपटी पर तमंचा रख देता है)।
बाप : बेटा ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारा बाप हूं।
बेटा : पिताजी, ना कोई किसी का बाप है और ना कोई किसी का बेटा। ऐसा किताब में लिखा है। बाप : बेटा मैं मर जाऊंगा
बेटा : पिताजी शरीर मरता है। आत्मा कभी नहीं मरती! आत्मा अजर है, अमर है।
बाप : बेटा मजाक मत करो गोली चल जाएगी और मुझको दर्द से तड़पाकर मार देगी।
बेटा : क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे तुम डरते हो। गीता में लिखा है- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः आत्मा को ना पानी भिगो सकता है और ना ही तलवार काट सकती, ना ही आग जला सकती । किसलिए डरते हो तुम।
बाप : बेटा! अपने भाई बहनों के बारे में तो सोच, अपनी माता के बारे में भी सोच।
बेटा : इस दुनिया में कोई किसी का नही होता। संसार के सारे रिश्ते स्वार्थों पर टिके है। ये भी किताब में ही लिखा है।
बाप : बेटा मुझको मारने से तुझे क्या मिलेगा?
बेटा : अगर इस धर्मयुद्ध में आप मारे गए तो आपको स्वर्ग प्राप्ति होगी । मुझको आपकी संपत्ति प्राप्त होगी।
बाप : बेटा ऐसा जुर्म मत कर।
बेटा : पिताजी आप चिंता ना करें। जिस प्रकार आत्मा पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करती है, उसी प्रकार आप भी पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करने की तयारी करें। अलविदा।
कलयुगी पुत्र - पिता अपने दोनों बेटों के साथ T.V. देख रहे थे..
उन्होंने बड़े बेटे से कहा -बेटा एक ग्लास पानी ला दो..
बड़ा पुत्र - नहीं लाऊंगा.
यह सुनकर छोटा पुत्र बोला -रहने दो पापा,
यह तो है ही बदतमीज़......
आप खुद ही पानी ले लो और एक ग्लास मेरे लिए भी ले आना.