'भूख के एहसास' के पीछे की साइंस जान लो बहुत काम आएगी
'भूख के एहसास' के पीछे की साइंस जान लो बहुत काम आएगी
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क्या कभी आपने सोचा है कि हमे भूख का एहसास क्यों और कैसे होता है? भूख का एहसास कराने में हमारे मस्तिष्क की अहम भूमिका होती है. अगर भूख असामान्य हो तो यह मोटापे का कारण बन जाती है. हमारा मस्तिष्क भूख का एहसास कराने के साथ ही उस पर नियंत्रण भी रखता है. असामान्य भूख मोटापे और खान-पान संबंधी विकारो को जन्म दे सकती है.

यह जानना भी दिलचस्प है कि असामान्य भूख कैसे गलत है और इससे कैसे निबटा जाए. यह समझने की जरूरत है, यह काम कैसे करती है. इसे लेकर एक स्टडी की गई जिसके नतीजे बताते है कि अगौती-पेप्टाइम (एजीआरपी) स्नायू (न्यूरॉन) को व्यक्त करता है. अगौती-पेप्टाइम ब्रेन के हाइपोथेलेमस में स्थित नर्व सेल्स का एक समूह है. यह नर्व सेल्स समूह गर्मी की कमी से सक्रिय होता है. इस तरह हमे भूख लगती है.

इस रिसर्च के लिए जब एजीआरपी पशु मॉडलों में प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से प्रेरित किया गया तो इसने चूहे को भोजन की खोज के बाद खाने के लिए प्रेरित किया. भूख ने स्नायु को प्रेरित किया कि परानिलयी गूदे में स्थित इन एजीआरपी स्नायुओं को सक्रिय करे.

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