उत्तरप्रदेश के कानपूर शहर में शिव जी का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जिसकी रखवाली नाग नागिन करते है. कहा जाता है कि इस मंदिर की रखवाली इच्छाधारी नाग और नागिन का एक जोड़ा करता है। मंदिर के हर वर्ष नागपंचमी के दिन ये इच्छाधारी नाग और नागिन मंदिर में सुबह सूर्योदय के समय शिवलिंग की पूजा करने आते हैं .इस मंदिर का निर्माण दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने करवाया था।
कहा जाता है कि शुक्राचार्य की बेटी देवयानी का विवाह जाजमऊ के राजा आदित्य के साथ हुआ था. एक बार वह अपनी बेटी से मिलने जा रहे थे. खेरपति मंदिर के नजदीक ही वह कुछ देर विश्राम के लिए रूक गए. इस दौरान उनकी आंख लग गई और उन्हें स्वप्न ने भगवान शेषनाग ने दर्शन देते हुए उस स्थान पर शिव मंदिर बनाने की आज्ञा दी.
प्रतिदिन नाग-नागिन यहां पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने आते हैं लेकिन उनके दर्शन आज तक किसी को नहीं हुए. सुबह सवेरे मंदिर का कपाट खोले जाने पर शेषनाग के शीष पर दो ताजा फूल चढ़े हुए मिलते हैं तथा भगवान शिव पर भी पूजा सामग्री अर्पित की हुई मिलती है..