काली मिर्च का तीखा स्वाद इसमें पाए जाने वाले पिपराइन नामक तत्व के कारण होता है. काली मिर्च से स्पिरिट और तेल भी निकाला जाता है जिनके बहुत से उपयोग होते है.काली मिर्च का स्वाद और गंध हवा व रौशनी के प्रभाव से कम हो जाते है. अतः जहाँ तक संभव हो इसे एयरटाइट डब्बे में रखना चाहिए. काली मिर्च को पीसने के बाद बड़ी तेजी से यह अपना स्वाद और गंध खो देती है. इसलिए काली मिर्च को काम लेते समय ही पीसना चाहिए.
काली मिर्च में मिलने वाले पिपरिन के कारण भोजन में मौजूद सेलेनियम , विटामिन B कॉम्लेक्स , बीटा केरोटीन तथा अन्य कई प्रकार के पोषक तत्वों का अवशोषण सही तरीके से शरीर में हो पाता है. हल्दी में पाये जाने वाले करक्यूमिन का अवशोषण तो काली मिर्च के साथ से 20 गुना तक बढ़ सकता है. करक्यूमिन अपने आप में बहुत लाभदायक तत्व है.
काली मिर्च में एंटी बेक्टिरियल गुण होने के कारण सर्दी झुकाम कफ आदि को मिटाने की क्षमता होती है. यह प्रदुषण , फ्लू या वायरल इन्फेक्शन के कारण गले नाक और छाती में जमा कफ को पिघला बाहर निकाल देती है. साथ ही इन्फेक्शन को भी शरीर से बाहर निकाल देती है. इसमें विटामिन C होने के कारण यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर भी इन्फेक्शन आदि को जल्द ठीक करने में मददगार होती है.
10 काली मिर्च पीस कर एक कप पानी में उबालें आधा रह जाने पर छान लें. इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पियें. सुबह शाम लेने से खांसी और गले में जमा कफ मिट जाता है.