स्किल इंडिया मिशन : वेलडन, पर क्या वाकई भारत की गरीबी से जीत पायेगा
स्किल इंडिया मिशन : वेलडन, पर क्या वाकई भारत की गरीबी से जीत पायेगा
Share:

आज मोदी सरकार की बहुत अधिक (शायद सबसे अधिक ) महत्वाकांक्षी योजना को एक मिशन के रूप में  लांच किया गया | यों तो ऐसी योजना पहले से ही चल रही थी | वास्तव में तो 2009 में ही मनमोहन सरकार ने इस दिशा में पहल कर दी थी | पर इसके महत्व को ठीक से नहीं समझ कर पर्याप्त हाईलाइट ही नहीं किया | इसीलिए वह सरकार कई दिशाओं में शुरुआती कदम उठाकर भी असफल रही और जनता की नज़रों से उतर गई | इस बात पर शिव खेड़ा का बहुमान्य कथन याद आता है | "सफल लोग अलग काम नहीं करते हैं, वे वही काम अलग तरीके से करते हैं"|

यहाँ मोदी सरकार ने क्या अलग किया ? एक नया नाम धूम-धाम से दिया | अलग नए मंत्रालय का गठन किया | युवा ऊर्जावान मंत्री राजीवप्रताप रूडी को उसका स्वतंत्र प्रभार दिया | ..और सबसे बढ़कर योजना, क्रियान्वयन और निगरानी (मॉनिटरिंग) पर एक खास मंत्र जैसा फार्मूला लागु किया - Convergence (अभिसरण); इस मंत्र के अर्थ व प्रभाव की बात तो विस्तार से बचने के लिए यहाँ छोड़ना पड़ेगी | आइये मुख्य मुद्दे पर आ जाये; यानि 'गरीबी से लड़ाई' जो हमारे देश की सबसे अधिक दुखती हुई रग हैं  |

विशेष बात यह हैं कि खुद पीएम मोदी ने शुभारम्भ समारोह के अपने भाषण में इस दुखती रग का बड़े खास अंदाज में उल्लेख किया | उन्होंने कहा कि यह हमारी गरीबी के खिलाफ जंग है और इस जंग को हमें जीतना ही है| फिर उन्होंने जोड़ा कि इस जंग में गरीब युवा ही मेरे सिपाही होंगे| उनके भाषण से जाहिर था कि वे यह मान रहे हैं कि स्किल इंडिया मिशन से गरीबी के खिलाफ जंग जीती जा सकती है | पुरे मामले का यही सबसे विचारणीय और प्रश्नवाची पहलु है कि क्या वे सही मान रहे हैं ? क्या जो लड़ाई हमारे देश की सबसे लम्बी व सबसे कठिन लड़ाई है, जो आजतक हम हारते ही रहे है | क्या वह लड़ाई हम इस एक अति-महत्वाकांक्षी मिशन से जीत लेंगे ?

और अधिक प्रश्न खड़े करने से पहले, सरकार को सकारात्मक शाबाशी दे देना भी जरुरी है | यह खुले दिल से स्वीकार किया जाना चाहिए की स्किल इंडिया मिशन, इसके ऊँचे लक्ष्य और क्रियान्वयन की व्यवस्था सब कुछ बहुत प्रशंसनीय हैं | फ़िलहाल तो यह एक आदर्श जैसा परिपूर्ण लग रहा है | सन 2022 तक 40.2 करोड़ लोगों को स्किल्ड बनाना बहुत ऊँचा और कठिन लक्ष्य है, पर आज के समारोह में दिखाई गई संकल्प भावना, एकजुटता व उत्साह के मद्दे-नजर इस पर अधिक सवाल खड़े करना उचित नहीं लग रहा है | आज सम्बंधित 18 मंत्रालयों के मंत्रियों, कई प्रमुख मुख्यमंत्रियों, कार्पोरेट जगत के दिग्गजों, विशेषज्ञों व युवाओं के साथ जिस तरह से यह समारोह आयोजित हुआ; उससे उम्मीद जागती है कि यह संकल्प और उत्साह राज्यों व जिलों तक ही नहीं गांवों व कस्बों तक भी पहुँच सकेगा | एक चलती हुई योजना में नया रंग, नया बल व नया जोश भरने के लिए, इस तरह का आयोजन वह भी 'वर्ल्ड युथ स्किल डे' के खास दिन होना, उपयोगी और अच्छा  ही है; इसलिए लगा कि इसकी भी जरुरत थी |

तो शाबाशी के बाद गरीबी से लड़ाई के पेचीदा प्रश्न पर लौटें | रूडी जी के ही आंकड़ों को देखें, तो कहा गया है कि हमें 2020 तक करीब 11.9 करोड़ स्किल्ड लोगों की जरुरत होगी, जबकि 2022 तक 40.2 करोड़ लोगों को मिशन में स्किल्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है | यदि हम 2020 की आवश्यकता को 2022 तक के  लिये बढ़ाकर भी देखें तो शायद तब यह आंकड़ा बढ़कर 13-14 करोड़ हो जायेगा; फिर भी करीब 26 करोड़ अतिरिक्त स्किल्ड लोग हम तैयार  कर चुके होंगे; उनका क्या होगा ? क्या वे सारे अन्य देशों में खप सकेंगे ? क्या अन्य देश मोदीजी की ऊँची उम्मीदों के अनुसार इतने लोगों का आयात करना चाहेंगे ?

यह तो सरकार के आंकड़ों में दिख रही एक विसंगति है; सरकार की सोच में कुछ अन्य छोटी-मोटी विसंगतियो को फ़िलहाल छोड़कर अपने देश की वास्तविकताओं पर नजर डालते हैं | बात गरीबी से लड़ाई की है; तो सर्वाधिक ध्यान रखने वाली बात यह है कि हमारे गरीबों का सबसे बड़ा वर्ग वह है; जो अशिक्षित व अकुशल (unskilled) है और साल में दो-तीन महीने मिलने वाली दिहाड़ी मजदूरी पर गुजर-बसर करता है | इन गरीबों का बड़ा वर्ग वह है; जिसे गांव का उच्च जाति / वर्ग थोड़ा भी आगे बढ़ने देना नहीं चाहता है | सैंकड़ो वर्षों से चल रही इस प्रक्रिया के कारण वे गरीब भी यही मान बैठे हैं कि उनकी जिंदगी तो ऐसे ही बिताने के लिए है | गरीबों का ऐसा बड़ा वर्ग शायद ही 2020 तक स्किल इंडिया में शामिल होकर अपनी गरीबी दूर कर पायेगा | सच पूछो तो अन्य योजनाओं की तरह ही इस योजना में भी अति निम्न व BPL परिवारों के लोग तो 10 फीसदी भी शामिल हो जाये तो बड़ी बात होगी | हाँ, योजना उनसे ऊपर के निम्न एवं माध्यम वर्गीय लोगों के लिए जरूर लाभदायक होगी | यह भी बुरा नहीं है और यह सच्चाई योजना की कोरी आलोचना करने के लिए भी नहीं कही जा रही है | बस इसलिए बताई जा रही है कि मोदीजी ने इस मिशन के बल पर गरीबी से लड़ाई जीत लेने का जो सपना देखा है और लोगों को भी दिखा रहे हैं; वह सपना इस तरह तो पूरा होने वाला नहीं है |

गरीबी से लड़ाई जीतने के लिए उसकी गहराई में जाकर उसकी जड़ों को उखाड़ना होगा | स्किल इंडिया उसे कम करने में कुछ योगदान तो देगा; लेकिन उसे ख़त्म करने या जीतने के लिए अन्य कई दूरगामी क़दमों की जरुरत होगी | दरअसल, दिहाड़ी खेतिहर मजदूरों व सीमांत किसानों को गरीबी से निकाल सकने वाली कोई भी ठोस योजना आजतक कोई सरकार नहीं बना सकी है | कुछ हद तक उस उपेक्षित गरीब वर्ग की स्थिति को सुधारने वाली एकमात्र योजना 'मनरेगा' ही है | जिसके अद्वितीय महत्व को मोदीजी शायद समझे ही नहीं है; अन्यथा उसके बारे में, वे संसद में उपहास के भाव से तो न बोले होते | खैर, बस उम्मीद ही की जा सकती है कि कभी-न कभी देश के नीति-निर्माता समझने लगेंगे कि इस देश के वास्तविक निहायत गरीब लोग कौन हैं, कैसे हैं और गरीबी से बाहर कैसे आ सकते हैं ?

हरिप्रकाश 'विसंत'

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -