भगवान कार्तिकेय स्वामी की माता स्कंद माता में है दीव्य शक्ति
भगवान कार्तिकेय स्वामी की माता स्कंद माता में है दीव्य शक्ति
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नवरात्रि के नौ दिनों की आराधना में पांचवे दिन देवी मां का स्कंद माता स्वरूप में पूजन किया जाता है। माता शेर पर सवार होती हैं। इनकी शक्ति बेहद दीव्य है। इनके हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। माता की गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं। इन्होंने कार्तिकेय का लालन पालन किया है। मां स्कंद माता के स्वरूप को माता, पार्वती, माहेश्वरी और महागौरी के नाम से पूजा जाता है। यही नहीं मां स्कंदमाता अपने एक हाथ से वरमुद्रा में वरदान भी देती हैं।

उनका पूजन गाय के गोबर के उपले अर्थात् कंडे जलाकर, घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंक का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किशमिश, कमलगट्टा आदि हवन के माध्यम से अर्पित किया जाता है। माता के लिए स्कंदमात्र्यै नमः मंत्र से पूजन किया जाता है। मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद अर्थात् कार्तिकेय भी विराजमान हैं।

ये माता पद्मासन पर विराजमान हैं। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं। क्योंकि  इनकी माता स्कंद माता कहलाती हैं। माता में बहुत तेज विद्यमान है। कालिदास द्वारा रघुवंशम् महाकाव्य और मेघदूत की रचनाऐं स्कंदमाता की कृपा से ही रची गई हैं। 

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