सिंहस्थ गीत गान - जहां- जहां छलका था अमृत का कुम्भ
सिंहस्थ गीत गान - जहां- जहां छलका था अमृत का कुम्भ
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धार्मिक परम्परा को अपनाते हुए कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुम्भ पर्व स्थल- हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष में इस पर्व का आयोजन होता है।

मेला प्रत्येक तीन वर्षो के बाद नासिक, इलाहाबाद, उज्जैन और हरिद्वार में बारी-बारी से मनाया जाता है। इलाहाबाद में संगम के तट पर होने वाला आयोजन सबसे भव्य और पवित्र माना जाता है। इस मेले में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होते है। ऐसी मान्यता है कि संगम के पवित्र जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध हो जाती है।

जहां छलका था अमृत का घट, जहां मोक्षदायिनी शिप्रा तट, जहां साधु मिले दुर्भर-दुर्लभ, जहां पूज्य संत करते जमघट वहां फिर होगा सिंहस्थ। यह गीत महाकुंभ सिंहस्थ-16 के लिए शासन की पीआर एजेंसी माध्यम ने खासतौर से तैयार करवाया है। इस बार सिंहस्थ कई मायनों में खास होगा।

मिली जानकारी के मुताबिक़ बताया जा रहा है की करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। सिंहस्थ के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने के लिए मप्र शासन जनसंपर्क विभाग ने सिंहस्थ गान तैयार करवाया है। गीत के गायक और कंपोजर प्रसिद्ध सिंगर विजय प्रकाश हैं, जिन्होंने एकेडमी और फिल्म फेयर अवॉर्ड जीते हैं।

इस गीत की रचना सुशील गोस्वामीके द्वारा की गई है, जिसमें सिंहस्थ और उज्जैन की गाथा, महत्व और आमंत्रण का संदेश है। सिंहस्थ से जुडी अनेकों बाते और उस दौरान होने वाले धर्म कर्म की सभी क्रियाओं को सिंहस्थ की वेबसाइट, टेलीविजन और रेडियो पर प्रसारित कराए जाने की भी तैयारी है।

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