उज्जैन में होने वाला यह सिंहस्थ कुंभ मेला धार्मिक कार्यो के चलते बहुत ही रोचक व दार्शनिक दिखाई देगा। यहां आपको बहुत से ऐसे भक्त देखने को मिलेंगे जो अपने रंग-रूप, वेश-भूषा से आपको हैरान भी कर सकते हैं। कुंभ का मेला, सिर्फ आत्मा और मन को पवित्र करने तक सीमित ही नहीं रहा है। बल्कि यह विश्व के आध्यात्मिक भावों की भी पुष्टि करता है ।
इलाहाबाद, हरिद्वार और नासिक में हुये इस कुंभ की भांती यह सिंहस्थ कुंभ उज्जैन में होने जा रहा है। इस सिंहस्थ कुंभ में लगभग 2 करोड़ भक्तों के आने की संभावना है। हर बार की तरह इस सिंहस्थ कुंभ में श्रद्धालुओं का मुख्य आकर्षण 'नागा साधु' ही रहेंगे। जिनके दर्शन और इस कुंभ में स्नान करना मुख्य माना जाता है।
सिंहस्थ कुंभ में अनंत श्रद्धालु अपने पापों से मुक्त होने के लिए यहां आस्था की डुबकी लगाने आएगें । लेकिन इनके पहले यह पुण्य नागा साधु अर्जित करेंगे।
जानिये कौन हैं नागा साधु -
प्रचीन हिंदू मान्यताओं के अनुसार नागा साधु हिमालय पर रहते हैं, जब कुंभ का आगमन होता है, तब इनका रेला आस्था की डुबकी लगाने पहुंचता है। इस बार भी यह रेला सिंहस्थ कुंभ पंहुचेगा। नागा साधू अपना जीवन-यापन करने के लिए कंद-मूल, जंगली फल और प्राकृतिक फलों को उपयोग करते हैं। मेले में नागा साधु देशी-विदेशी श्रद्धालुओ के लिए हमेशा से ही उत्सुकता का विषय बने रहते है।
नागा साधु तीन तरह के योग करते हैं जो उनके लिए हिमालय की ठंड से बचाते हैं। वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा नागा साधु बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। इसमें करीब 6 वर्ष का समय लगता है। इस दौरान नए सदस्य एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते।
जानिये कैसे बनते हैं नागा साधु-
कुंभ मेले में अंतिम प्रण लेने के बाद वे लंगोट भी त्याग देते हैं। और जीवन भर नग्न अवस्था में ही रहते हैं। कोई भी अखाड़ा अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर योग्य व्यक्ति को ही प्रवेश देता है। पहले उसे बहुत लंबे समय तक ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है। फिर उसे महापुरुष तथा फिर अवधूत बनाया जाता है। अन्तिम प्रक्रिया कुम्भ के दौरान होती है जिसमें उसका स्वयं का पिण्डदान और दंडी संस्कार अन्य संस्कार आदि शामिल होता है।
इस सिंहस्थ कुंभ में पहुँचना व स्नान करने का हमारे जीवन में भी अत्याधिक महत्व है । कुंभ का मेला बहुत ही बड़ा धार्मिक मेला है।इसमे बहुत से साधू संत आते है । इन साधू संतो के दर्शन व कुंभ स्नान का मानव जीवन में बहुत ही अधिक महत्व होता है। वह पाप मुक्त व जीवन में सुख संव्रधी प्राप्त करता है।यह अवसर बार बार नहीं मिलता है।और यदि यह अवसर हमें मिला है। तो उसका लाभ अवश्य उठाना चाहिये।